क़िताबें

व्यक्तित्व

अब तो राघव गिनती भी भूल चुका था कि कितनी पीढ़ियों से आम के ये बाग़ उनके परिवार के पास थे। गाँव से बाहर पच्चीस बीघे का बाग़, अतिरिक्त आमदनी का ज़रिया तो था ही, पीढ़ियों से खानदान के बच्चों के बचपन का साक्षी, सखा, अमूल्य यादों का ख़ज़ाना भी […]

सीईपीआरडी प्रदेशभर में पर्यावरण संरक्षण के लिए करेगा साहित्यिक गतिविधियाँ इंदौर (4 जून)। विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर पर्यावरण संरक्षण अनुसंधान एवं विकास केंद्र द्वारा पर्यावरण संरक्षण साहित्य उत्सव आयोजित किया गया। इंदौर प्रेस क्लब में रविवार शाम आयोजित हुए इस उत्सव में जहाँ पर्यावरण जागरूक को लेकर […]

हिन्दी पत्रकारिता दिवस विशेष संकलन- डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ हिन्दी भाषा की पत्रकारिता का इतिहास 197 वर्ष पहले अहिन्दीभाषी क्षेत्र कोलकाता से आरम्भ होता है। मंगलवार, 30 मई 1826 के दिन पण्डित जुगलकिशोर शुक्ल ने कलकत्ता से एक हिन्दी अख़बार का आरंभ किया, जिसका नाम ‘उदण्ड मार्तण्ड’ रखा। प्रवेशांक की […]

छायावाद की अब तक छाया सबने अच्छे से दोहराया। १. वाद भले हों अलग–अलग छाया का न अन्त, प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत। आँखों के सम्मुख है काया। छायावाद की….. २. दिनकर, महादेवी, जयशंकर एक हैं सूर्य निराला, प्रेमचंद ने कम ही दिन में कितना कुछ लिख डाला। पढ़ा […]

जन्म मरण कहे पीर, ममता में बहे नीर। माँ करुणा नस–नस में अविचल, चिर चितवन दान मिला पल। मंगल भाव भरे युग अंचल, चित उपवन लहराये निर्मल। माँ प्राण तृषित अधीर, ममता में बहे नीर।। सघन वेदना के पल–पल में, मतलब के प्रतिकूल छल में। तिमिर भरे अवगुंठन कल में, […]

बस नाम ही काफ़ी है, माँ यहीं कहीं रहो तुम करीब मेरे जब अतीत का सहारा चाहते हैं आँखें भीगी–सी तुम्हारी तुम तब भी मेरे साथ होती हो मेरी माँ जैसे मैं तुम्हें छू पाता हूँ अहसास पा सकता हूँ तुम्हारा कर सकता हूँ महसूस ध्वनि पदचाप की तुम्हारी जब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।