क़िताबें

व्यक्तित्व

◆ अनिल त्रिवेदी, इन्दौर मनुष्य को जन्म के साथ ही मनुष्य शरीर को आकार मिलता है।पर मनुष्य का आकार ,आचार, विचार और स्वभाव अपने आप में मनुष्यता का पर्याय नहीं बन जाते। मनुष्य और पशु या अन्य जीव जन्तुओं में यही मूलभूत अंतर है, अन्य सभी जीव जन्तु जन्माना जिस […]

शिव शक्ति रूप प्रगटी है माँ सिंहारूढ़ हैं शस्त्र सुसज्जित त्रिदेवों की ऊर्जा से अवतारी देवों के हित महिषासुर संहारी माँ सुहागिन पार्वती रूप धरे स्वर्णिम केसरी वस्त्र धारित है सूर्याभा करती प्रसारित सदा शांतिदायक कल्याणकारी माँ मस्तक पर चन्द्रघण्टा अंकित घन्टाध्वनि कर देती है भयमुक्त सदा सुखकारी मोक्षकारी माँ […]

इन्दौर। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के साप्ताहिक कार्यक्रम ’सृजन विविधा’ में पढ़ी गईं अधिकांश रचनायें माॅं को समर्पित रहीं, जिनमें नवरात्रि की झलक दिख रही थी। डाॅ. शीला चंदन की रचना ’वर दे’, डाॅ. आरती दुबे की रचना ’मैं संस्कृति हूॅं, देश की आत्मा हूॅं’ और जयंत तिकोटकर का […]

हे शैलपुत्री! हे ब्रह्मचारिणी! माँ चंद्रघण्टे ! माँ कुष्मांडा! हे स्कन्दमाता! हे माँ कात्यायनी! हे कालरात्रि माँ! माँ महागौरी! माँ सिद्धिदात्री! माँ, तुम हो दुर्गे। तुम तपस्विनी, तुम विष्णुमाया, तुम भव्या, तुम बहुल प्रिया। चंडमुंड, खड़ग, खप्पर धारिणी, अष्ट भुज कल्याणकारिणी। तुम भवप्रिता, तुम भवमोचिनी, तुम बगलामुखी, तुम दक्ष कन्या। […]

हिन्दी, भावों की अभिव्यक्ति और मातृभूमि पर मर-मिटने की भक्ति है: राज्यपाल श्री पटेल मध्यप्रदेश राष्ट्र भाषा प्रचार समिति द्वारा हिन्दी भवन में कार्यक्रम आयोजित भोपाल। हिन्दी, माँ भारती के मस्तक की बिंदी है। यह सिर्फ भाषा नहीं, भावों की अभिव्यक्ति और मातृ भूमि पर मर मिटने की भक्ति है। […]

2 अक्टूबर शास्त्री जयंती विशेष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ भाग्य और कर्म के बीच के संघर्ष में कभी कर्म जीतता है तो कभी भाग्य, किन्तु कभी-कभी दोनों के इतर प्रारब्ध बलवान हो जाता है।आध्यात्म और दर्शन के अध्येता प्रारब्ध को सर्वोपरि मानकर नियति के फ़ैसले को अंतिम निर्णय कहते हैं और प्रारब्ध सबकुछ छीनकर भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।