भावी पीढ़ी किस ओर..

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pukharaj

असीम सुख मिल जाता,
जो पूर्वजों से प्राप्त संस्कारों में,
किशोर पीढ़ी खोज रही उसे..
क्लब,कोठी और कारों में।

‘चाव’ पैदा हो रहा है,
उच्च ब्रांड की चीजों में..
मूक स्पर्धा पनप रही है,
भाई और भतीजों में।
(हौंडा सिटी है किसी की,
तो दूसरे को ऑडी चाहिए)

प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा,
भौतिक वस्तुओं प्रति आकर्षण..
कर्तव्य अब बोझ लग रहा,
लुप्त हो रहा है समर्पण।
(नित नए इन्वेंशन-इनोवेशन-बढ़ता आकर्षण)

‘संयम’ की बात कहने वाला,
‘दकियानूस’ कहलाता है..
‘संयम’ की बात कहने वाला,
‘विकास-विरोधी’ कहलाता है.
‘आधुनिकता’ दर्शाने वाला,
‘आदर्श’ यहां बन जाता है।
(चाहे फूहड़ प्रदर्शन हो)

साहित्य से नाता टूटा,या
साहित्य से नाता तोड़ा..
फेस बुक,ट्विटर,व्हाट्सअप , इन्टरनेट पर खो गए..
‘बुद्दू बक्शे’ के आगे तो बेबस
और लाचार हो गए।
(टेलीविज़न-जो परोसा गया,उसे खाने की लाचारी है..सीरियल-आधे तो कहाँ की ईंट कहाँ का रोड़ा)

मात-पिता की जीवन शैली,
लगती अब बेमानी है..
(मोटा खाना,मोटा पहनना,खुले में जाना-नहाना,तान के खाट पे सोना,
ना गूढ़ ज्ञान (डिग्रियों का बोझ) का खाता,न तनाव से नाता,आत्मा का बोध,प्यार का नाता)
फैशन-परस्ती, मौज-मस्ती ही
लगती केवल सुहानी है।

माना ‘स्पर्धा’ विकास की ‘निशानी’,
यह कहावत बहुत पुरानी है..
‘पर’ ऐसे अंधे विकास को नहीं रोका,
तो ‘आत्मा’ अवश्य मुरझानी है।

 

परिचय : जयपुर के निवासी पुखराज छाजेड़ करीब 10 वर्ष से लगातार लेखन में सक्रिय हैं। जयपुर(राजस्थान) में व्यवसायी होने के बाद भी बतौर रचनाकार आप सतत सक्रिय हैं।

matruadmin

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11 thoughts on “भावी पीढ़ी किस ओर..

  1. सत्य ही लिखा है आपने। आजके भौतिक युग में पैसा ही रिश्तों की परिभाषा बन गया है। बहुत कम हैं जिन्हें धन का अहंकार नहीं है। नई पीढ़ी भी भौतिकता के युग में अपने संस्कारों और जीवन मूल्यों से कट रही है। बड़ा ही संक्रमण का समय है यह।
    आपके उत्कृष्ट लेखन के लिए बधाई।

    यह प्रतिक्रिया मेरे मित्र श्री प्रवीण जी नाहटा DGM brand promotion & strategic communication ,
    Rajsthan Patrika Group.

  2. शब्दों में बता पाना बहुत मुश्किल हैं कि कितना ख़ूबसूरत ओरकितना सही , सच लिखा हैं…..absolutely brilliant without a doubt
    Great regards to writer

  3. Many many thanks for your valuable comments. Your words will always inspire to write.
    Thanks Sarita Ji.

  4. आपके शब्द प्रेरणा बनकर कुछ जरूर अच्छा लिखवाएंगे, धन्यवाद, सरिता जी ।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।