रिश्तों की अहमियत समझे

1
1 0
Read Time4 Minute, 56 Second

श्रीमती माला महेंद्र सिंह, (एम एस सी, एम बी ए, बी जे एम सी)

आज एक पुरानी सहेली से बात हुई। बातो ही बातो में वो फूट फूट कर रोने लगी। मै आश्चर्यचकित थी।  हम महाविद्यालय में साथ ही थे, हमारा ग्रुप ऑक्सिजन गैंग के नाम से प्रसिद्ध था। हमने कभी उसे रोते हुए, परेशान होते हुए नही देखा। बड़ी से बड़ी बात पर बेफिक्र हंसती खिलखिलाती, हमेशा मुस्कुराती रहने वाली, दुसरो को हंसाने वाली ऐसी थी प्रचिती। आज अचानक मुझे कुछ समझ आता इसके पहले, वो फोन के दूसरी ओर से फफकते-फफकते बोली “तूने बोला था न, कभी कुछ लगे तो बताना। आज मुझे लगा, की मुझे तुझे कुछ बताना है।” उसने कहना शुरू किया, “मेरी सासु माँ मुझे रोज ताने देती है, और पति को कहती है “जबसे औरत आई है तू बदल गया”। रोज-रोज की तनातनी अब मुझसे बर्दाश्त नही होती। ऐसा कोई दिन नही जाता जब मुझे सुनना न पड़े। छोटी से छोटी बात कब राई का पहाड़ बनके झगड़े में तब्दील हो जाती है, पता ही नही लगता। इतना ही नही इन सबका प्रभाव हम पति-पत्नी के रिश्ते पर पड़ रहा है। कल झगड़ा बहुत बढ़ गया था, मैने आत्महत्या की कोशिश, लेकिन… बस अपने छोटे से बच्चे के बारे में सोच के हमेशा पैर पीछे कर लेती हूँ। बस अब नही सहा जाता।” लगातार उसकी सिसकिया मुझे भी परेशान कर रही थी।
जो बात मैने प्रचिती से साझा की, आप सभी बहनो से भी साझा करना चाहती हूँ, “स्वभाविक बात है, एक लड़की अपना घर-परिवार सब छोड़कर अपने पति के घर आती है, आदते एकदम नही बदलती, वो कोशिश करती है की सबकी चहेती बने, सुबह शाम इसलिए प्रयास भी करती है, उस नए घर में उसे कोई थोडा अपना सा लगता है, तो वो उसके पतिदेव, जिनसे वो सब बाते साझा करना चाहती है, पति-पत्नि का रिश्ता बहुत अलग ढंग से ईश्वर ने बनाया है। सभी परिवार जनो को यह सोचने की आवश्यकता है।
वंही दूसरी ओर एक माँ जिसने एक बच्चे को जन्म दिया, इतने वर्षो में पाला-पोसा बड़ा किया, हर परिस्थिति में अपने निश्छल प्रेम से उसे ओतप्रोत रखा। अचानक उसका महत्व कुछ कम होता है, तो स्वभाविक है, वो कुछ परेशान तो होगी ही।
पत्नि के लिए जरूरी है की वो अपने पति के रिश्तों को महत्व दे। जिस माँ से वो हर क्षण जुड़ा रहा है, उसका अधिकार कभी समाप्त नही हो सकता। और एक माँ को भी चाहिए की नई नवेली को भी रिश्तों को समझने के लिए थोडा स्थान दे। पति पत्नि के नितांत व्यक्तिगत रिश्ते  को समझे। बस अगर दोनों लोग अपनी अपनी भूमिका समझ ले और आपस में गिले-शिकवे स्वयं ही साझा करने लगे तो रिश्तों में खटास कभी नही आएगी। आइये नई शुरुआत करे, रिश्तों की अहमियत समझे और उनका आदर करना शुरू करे।

लेखिका परिचय: श्रीमती माला महेंद्र सिंह, (एम एस सी, एम बी ए, बी जे एम सी)

विगत एक दशक से अधिक समय से महिला सशक्तिकरण हेतु कार्यरत। जय विज्ञान पुरस्कार, स्व आशाराम भाटी छात्रवृत्ति, तेजस्विनी पुरूस्कार, गौरव सम्मान, ओजस्विनी पुरुस्कार, युवा पुरस्कार जैसे कई सम्मान प्राप्त कर चुकी है।  देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय युवा उत्सव व विभिन्न राष्ट्रीय वक्त्रत्व कौशल प्रतियोगिताओ में किया। एन सी सी सिनीयर अंडर ऑफिसर रहते हुए, सामाजिक क्षेत्र में सराहनीय कार्य हेतु सम्मानित की गई। सक्रीय छात्र राजनीती के माध्यम से विद्यार्थि हित के अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया। अभ्यसमण्डल, अहिल्याउत्सव समिति जैसी कई संस्थाओ की सक्रिय सदस्य है। समय समय पर समसामयिक विषयो पर आपके आलेख पढ़े जा सकते है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
100%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “रिश्तों की अहमियत समझे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

"नर हो ,न अधम हो"

Tue Jan 10 , 2017
यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक / लेखकों का है, मातृभाषा.कॉम का नहीं। अधूरा नर,वैसे बिन नारी। सूना घर ज्यों,बिन फुलवारी ।। न हो अधम तू,बस मिथ्या में। क्यों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।