संजय उवाच राजनीतिक परिवर्तन के नाते भारतीय भाषाओं को मिल रहा सम्मान स्थाई नहीं हैं, क्योंकि उपनिवेशवाद की गहरी छाया से हमारे समाज को मुक्त करने में अभी हम सफल नहीं हो सके हैं। भारतीय भाषाओं को सम्मान दिलाने के लिए शासकीय प्रयासों के बाहर भी हमें देखना चाहिए कि […]
आलेख
-प्रो. संजय द्विवेदी भारतीय मीडिया अपने पारंपरिक अधिष्ठान में भले ही राष्ट्रभक्ति,जनसेवा और लोकमंगल के मूल्यों से अनुप्राणित होती रही हो, किंतु ताजा समय में उस पर सवालिया निशान बहुत हैं। ‘एजेंडा आधारित पत्रकारिता’ के चलते समूची मीडिया की नैतिकता और समझदारी कसौटी पर है। सही मायने में पत्रकारिता में […]
