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वो ज़िंदगी में काश दुबारा मिले कभी
जैसे कि टूट कर के सितारा मिले कभी
उम्मीद जागती है जो ये दिल में बारहा
मौजे रवाँ है इसको किनारा मिले कभी
बैठा है इंतिजार में मूरत बना कोई
तरसी नज़र को ऐसा नज़ारा मिले कभी
आख़िर मैं कब तलक यूँ खुदा को मना करूँ
निकले ये जाँ तेरा जो इशारा मिले कभी
करता हलाक है बड़ी मासूमियत से पर
इस हुस्न को कुछ और मुदारा मिले कभी
ग़ैरों की साज़िशी का न होगा गिला कोई
बस ये न हो कि काम तुम्हारा मिले कभी
ख़ूं जो पिया सो पी लिया इस हुक्मरान ने
ऐसा न हो कि सर भी उतारा मिले कभी
#मंगल सिंह ‘नाचीज़’
परिचय :
नाम- मंगल सिंह
*साहित्यिक उपनाम- ‘नाचीज़’
*वर्तमान पता- हनुमानगढ़,
*राज्य-राजस्थान
*शहर- संगरिया
*शिक्षा- MA(English),MA(Political Science),B.Ed.
*कार्यक्षेत्र- वरिष्ठ अध्यापक (राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,न्यौलखी,हनुमानगढ)
* विधा- ग़ज़ल, कविता, कहानी
*अन्य उपलब्धियाँ- मुशायरों में शिरकत
*लेखन का उद्देश्य- सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना व साहित्य की सेवा करना
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Salaam
Best of luck Mangal Singh Nacheez…….keep it up & go ahead
नाचीज़ गज़ब की नाचीज़ है ।
Mst bhai ji cha gye aur Aap yu hi jindagi k safar me yu hi aage bdte rho sfalta yu hi saflta milti rhe yhi dua krta hu god se
Apko jindagi me yu hi saflta milti rhe yhi god se dua h
आदरणीय भाई साहब एक बेहद संजीदा भावनाओं को समझने वाले एवं सहयोगात्मक रवैये से युक्त व्यक्तित्व के धनी हैं। उन्हें अन्तःकरण से मेरा प्रणाम शुभापेक्षा है कि वे मेरा प्रणाम स्वीकार करेंगे।
Very good
सलाम सुनील भाई
तवज्जह देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
Thanx a lot bro
Your support is my power.
बहुत शुक्रिया विनोद भाई
बहुत-बहुत शुक्रिया महेन्द्र भाई
बहुत-बहुत शुक्रिया अनिल भाई
अच्छे लोगों को सभी अच्छे दिखाई देते हैं। आप जैसा दोस्त पाकर मैं धन्य हुआ।
बहुत-बहुत शुक्रिया सुरेन्द्र भाई
बहुत-बहुत शुक्रिया सुरेन्द्र भाई साहब
तवज्जह देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया