
पुस्तक- भारत के टॉप-10 क्रिकेट कप्तान
लेखक- शरद श्रीवास्तव
प्रकाशक – स्वयंयुग प्रकाशन, रायगढ़, महाराष्ट्र
पृष्ठ- 252
मूल्य- 299/-
भारतीय क्रिकेट के इतिहास को सरल शब्दों में शामिल करके लेखक ने भारत के सर्वश्रेष्ठ दस कप्तानों के व्यक्तित्व को सम्मिलित किया है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वर्ष 1932 में प्रवेश किया था। उस वर्ष गर्मियों में भारतीय टीम तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने इंग्लैंड गई थी और इस ऐतिहासिक सीरीज़ में भारत की कप्तानी की थी कर्नल सी के नायडू ने। मूल रूप से इंदौर निवासी कर्नल नायडू से लेकर वर्तमान कप्तान शुभमन गिल तक अब तक कुल 44 क्रिकेटरों ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में टीम इंडिया का नेतृत्व किया है । इन 44 कप्तानों में से सर्वश्रेष्ठ दस भारतीय कप्तानों के प्रदर्शन, उपलब्धियों और विश्व क्रिकेट पर इन्होंने जो दीर्घकालीन प्रभाव छोड़ा, इसका दिलचस्प विवरण और विश्लेषण लेकर आई है हिन्दी की नई किताब ‘भारत के टॉप-10 क्रिकेट कप्तान’।
क्रिकेट के खेल में कप्तान की भूमिका अन्य किसी टीम गेम की तुलना में ज्यादा अहम मानी जाती है क्यूंकि इसमें टॉस के बाद पहले खेलने या न खेलने के फैसले से लेकर टीम का बल्लेबाजी क्रम तय करने और पिचों के बदलते मिजाज़ के अनुरूप अपने गेंदबाजों के इस्तेमाल जैसे महत्वपूर्ण रणनीतिक दायित्व कप्तान के जिम्मे होते हैं । ऐसे में टीमों की सफलता या असफलता को कप्तानों के साथ जोड़कर देखना इस खेल की परम्परा रही है । यही वजह है कि राष्ट्रीय टीम की कप्तानी एक बहुत बड़ा सम्मान होने के साथ साथ काँटों का ताज भी समझी जाती रही है । हिन्दी के वरिष्ठ खेल लेखक शरद श्रीवास्तव की यह किताब भारत के दस सर्वकालीन बेहतरीन कप्तानों की नेतृत्व शैली की विवेचना के साथ साथ भारतीय क्रिकेट के तकरीबन एक शताब्दी लंबे इतिहास की पड़ताल भी करती नजर आती है ।
कुल 44 कप्तानों में से टॉप 10 का चयन करना निस्संदेह सहज नहीं था और लेखक को इस बात का श्रेय दिया जा सकता है कि टॉप 10 कप्तानों के रूप में उन्होंने जो नाम चुने हैं , उनसे असहमत होने की कोई ज्यादा गुंजाइश नहीं है । हालांकि सचिन तेंडुलकर , मोहम्मद अज़हरुद्दीन और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गजों के प्रशंसक टॉप 10 की सूची में इनकी नामौजूदगी से निराश होंगे । पुस्तक में भारत के टॉप 10 क्रिकेट कप्तानों के रूप में जो नाम शामिल किये गये हैं , वे हैं लाला अमरनाथ , टाइगर पटौदी , अजीत वाडेकर , बिशन सिंह बेदी , सुनील गावस्कर , कपिल देव , सौरव गांगुली , महेंद्र सिंह धोनी , विराट कोहली और रोहित शर्मा।
भारत में क्रिकेट कप्तानों की नियुक्ति और राष्ट्रीय टीमों के चयन की पृष्ठभूमि में चलने वाली जोड़ तोड़ और गुटबन्दी की राजनीति पर पुस्तक में कई ऐसी रोचक जानकारियाँ हैं जो शायद कम लोगों को पता होंगी । साथ ही विभिन्न कप्तानों की अपनी अपनी खासियतें और उनसे जुड़े दिलचस्प किस्सों का जिक्र किताब को दिलचस्प बनाता है। सौरव गांगुली की आक्रामकता , धोनी की परिपक्वता , सुनील गावस्कर की तकनीकी श्रेष्ठता , टाइगर पटौदी की अंग्रेज़ियत और कपिल देव का जुझारूपन – इन सब की लेखक ने रोचक अन्दाज़ में चर्चा की है । इसके अलावा भारतीय क्रिकेट के तमाम सुनहरे पलों मसलन 1983 और 2007 के विश्व कप की जीत, अजीत वाडेकर की कप्तानी में लगातार तीन टेस्ट सीरीज़ में विजय और 1976 में पोर्ट ऑफ स्पेन की धरती पर चौथी पारी में 400 से ज्यादा रन बनाकर टेस्ट जीतना – इन सब के बारे में विस्तार से पढ़ना पाठकों को भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम इतिहास में सर्फिंग करने जैसा एहसास देता है ।
पुस्तक का कवर आकर्षक और प्रस्तुति स्तरीय है । किताब में विशेष आकर्षण के रूप में समस्त भारतीय कप्तानों के ताज़ातरीन आँकड़े और टॉप-10 कप्तानों के कुछ दुर्लभ फोटो भी शामिल किये गये हैं। कुल मिलाकर ‘भारत के टॉप-10 क्रिकेट कप्तान’ एक किताब से कहीं ज्यादा भारत के क्रिकेट इतिहास के तमाम उतार चढ़ावों को अपने में समेटे एक मजेदार और रोमांचक रोलर कोस्टर राईड सरीखी है जो क्रिकेट में दिलचस्पी रखने वाले हर उम्र के पाठक को पसंद आएगी।


