एक वीरान से पथ के जैसे हैं हम, एक टूटी हुई नथ के जैसे हैं हम, प्रेम के घाट तक लेकर आता था जो, उस रथी से रहित रथ के जैसे हैं हम। एक उजड़े हुए बाग़ जैसे हैं हम, चाँद पर उस लगे दाग़ जैसे हैं हम, हाशिए पर […]

जो ढोलक बजती-बजती काँपती है। किसी बेजां की चमड़ी काँपती है।। किसी अपने से बिछड़े थे यहीं पर, इसी रस्ते पे गाड़ी काँपती है।। वो जिस दिन भूल कर आती है स्वेटर, ज़मीं सारी की सारी काँपती है। बिछड़ने का हुआ था ज़िक्र जिसमें, अभी तक भी वो चिट्ठी काँपती […]

1. एक दिन ऐसा ही हुआ एक दिन ऐसा ही हुआ, मैं हुआ, दर्पण हुआ, फ़ासला हुआ। कहने को तो वहीं मैं, वहीं दर्पण लेकिन, उसी एक दर्पण में फ़ासला हुआ। मैं वही, मगर वही, वैसा ही नहीं जैसाकि था कल, वैसा नहीं हुआ, एक दिन ऐसा ही हुआ। 2.अंतिम […]

कुछ मोती चुराए थे कभी समंदर से अथाह लहरों के बीच बड़ा मुश्किल था उन सीपों को बटोर पाना कुछ हाथ आए, कुछ बह गए उतने मोती भी न बटोर सकी कि माला पिरो लेती पर हाँ, हाथ का कंगन ज़रूर बना लिया और कानों के झुमके पर कसक अभी […]

माँ से ही तो हैं हम, माँ पर क्या लिखना। जगत जननी, जग पालक, माँ पर क्या लिखना।। तवे पे पकती रोटी माँ, सबसे बड़ी मनौती माँ। सारे दुख दर्दों को हर ले, वो है बस इकलौती माँ।। वही तो चारों धाम है, माँ पर क्या लिखना। जगत जननी, जग […]

जीवन के उत्तरार्द्ध पर उतरते हुए अपनों-परायों के बीच खेलते हुए अब मुझमें भी बड़ा बनने की इच्छा जाग रही है यह हुनर सीखना भी आसान नहीं चूंकि मुझे सीखना था इसलिए गुरु भी ढूंढ लिए आप सोच रहे होंगे इसके लिए मुझे ज्यादा भटकना पड़ा अरे नहीं जी, सब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।