एक चुटकी सिंदूर उड़ा दुश्मन चकनाचूर, पीछे हटने को हुआ कैसे वो मजबूर! किसने नाम है पाक दिया? काम सभी नापाक, दूर नहीं है अब दिन वो, पूरा होगा ख़ाक। फैले हुए हैं पाक में आतंकी अड्डे, ख़ुद ही क़ब्रों में जाने खोद रहे गड्ढे। दुश्मन के मुँह पर आया […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
शिव शक्ति रूप प्रगटी है माँ सिंहारूढ़ हैं शस्त्र सुसज्जित त्रिदेवों की ऊर्जा से अवतारी देवों के हित महिषासुर संहारी माँ सुहागिन पार्वती रूप धरे स्वर्णिम केसरी वस्त्र धारित है सूर्याभा करती प्रसारित सदा शांतिदायक कल्याणकारी माँ मस्तक पर चन्द्रघण्टा अंकित घन्टाध्वनि कर देती है भयमुक्त सदा सुखकारी मोक्षकारी माँ […]
हे शैलपुत्री! हे ब्रह्मचारिणी! माँ चंद्रघण्टे ! माँ कुष्मांडा! हे स्कन्दमाता! हे माँ कात्यायनी! हे कालरात्रि माँ! माँ महागौरी! माँ सिद्धिदात्री! माँ, तुम हो दुर्गे। तुम तपस्विनी, तुम विष्णुमाया, तुम भव्या, तुम बहुल प्रिया। चंडमुंड, खड़ग, खप्पर धारिणी, अष्ट भुज कल्याणकारिणी। तुम भवप्रिता, तुम भवमोचिनी, तुम बगलामुखी, तुम दक्ष कन्या। […]