◆डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’
हिन्दी कवि सम्मेलन अपनी आयु का सैंकड़ा जड़ रहा है, इस बीच हमने बहुत कुछ अर्जित किया तो उससे कहीं ज़्यादा खो दिया। इसी काव्य नभ का एक सितारा 2009 में भी टूटा था।
सन 2009 की तारीख़ आठ जुलाई की वो ग़मज़दा सुबह, जब दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रात के पौने तीन बजे का दुःखद काल, जिसने हिन्दी कवि सम्मेलनों के हँसते-खेलते सितारे, हास्य रस के महनीय कवि के लगभग एक माह के जीवन-मृत्यु के संघर्ष में ईश्वर ने ओम व्यास ओम जी को हरा कर हमसे छीन लिया था।
आठ जून की सुबह विदिशा में आयोजित बेतवा महोत्सव में हिस्सा लेकर लौट रहे कवियों का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में कवि ओम प्रकाश आदित्यजी, लाड़ सिंह जी और नीरज पुरी जी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था, जबकि ओम व्यास जी गंभीर रूप से घायल हुए थे।
न जाने उस ईश्वर को क्या ज़रूरत आन पड़ी, जो उसने हास्य के दैदीप्यमान दिनकर को अस्ताचल की ओर भेजकर हिन्दी कवि सम्मेलनों के मंचों को अंधकार का दुशाला ओढ़ने पर विवश कर दिया था।
पिता जैसे विषयों पर भी कमाल का और कालजयी लेखन करने वाले कविकुल के अजर-अमर दिनकर स्वर्गीय ओम व्यास ओम जी को शत-शत नमन।
भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
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