इंदौर प्रेस क्लब कभी राजनेताओं के पीछे नहीं भागा, राजनेताओं और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अपनी बात कहने के लिए इंदौर प्रेस क्लब को ही चुनते थे। कोई राजनेता, अधिकारी, कलाकार या बड़ी हस्ती किसी भी क्षेत्र की हो, वह प्रेस से मिलिये में आने के लिए आतुर रहते थे।
इंदौर प्रेस क्लब के स्थापना दिवस विशेष
इंदौर प्रेस क्लब मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता की जन्म भूमि है। आदर्श आचार संहिता जिसके ज़रिए ख़ुद पत्रकारों ने अपने पर अंकुश लगाया। सरकारी दमन, प्रेस पर किसी भी तरह की पाबंदी की कोशिश का पुरज़ोर विरोध किया। प्रेस से मिलिये कार्यक्रम ब्रेकिंग ख़बरों के लिए जाना जाता था। यही नहीं एक समय था जब, ऑफ़ द रिकॉर्ड जानकारी देने के लिए बड़े से बड़े राजनेता इंदौर प्रेस क्लब को चुनते थे। मैं इस बात का प्रत्यक्ष साक्षी रहा जब विद्याचरण शुक्ल से लेकर अर्जुन सिंह तक ऑफ द रिकॉर्ड जानकारी देते थे और उनको इंदौर प्रेस क्लब पर यह भरोसा था कि यदि कुछ कहेंगे तो वह ख़बर तो बनेगी, पर उनके नाम के साथ नहीं । मोतीलाल वोरा और माधवराव सिंधिया के लिए भी इंदौर प्रेस क्लब ऐसी ही ख़बरों के लिए मुफीद मंच था। वीरेंद्र कुमार सखलेचा, कैलाश जोशी और सुन्दर लाल पटवा भी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसी ही ख़बरों को आसानी से बना देते थे। गोविन्दाचार्य ने इंदौर प्रेस क्लब में ही कहा था कि अटल बिहारी बाजपेयी तो भाजपा के मुखौटा मात्र हैं। इस ख़बर ने देश भर में खलबली मचा दी थी । प्रेस क्लब के कार्यक्रम में ही उमा भारती को मुख्यमंत्री की कुर्सी त्यागने का फ़रमान फ़ोन पर अरुण जेटली ने दिया था। अटल बिहारी बाजपेयी इंदौर प्रेस क्लब के प्रेस से मिलिये कार्यक्रम को सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम मानते थे। सुषमा स्वराज हो या लालकृष्ण आडवाणी या नटवर सिंह इंदौर प्रेस क्लब को ही अपनी बात कहने के लिए चुनते थे। दिग्विजय सिंह तो मुख्यमंत्री रहते हुए इंदौर प्रेस क्लब की समय की पाबंदी से इतना सचेत रहते थे कि प्रेस से मिलिये कार्यक्रम के दस मिनट पहले पहुंच जाते थे। इंदौर प्रेस क्लब कभी राजनेताओं के पीछे नहीं भागा, राजनेताओं और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अपनी बात कहने के लिए इंदौर प्रेस क्लब को ही चुनते थे। कोई राजनेता, अधिकारी, कलाकार या बड़ी हस्ती किसी भी क्षेत्र की हो, वह प्रेस से मिलिये में आने के लिए आतुर रहते थे। इंदौर प्रेस क्लब के सचिव से लेकर अध्यक्ष के रूप में मैं ऐसे कई वाकयो का गवाह हूँ। दिग्विजय सिंह के दस वर्षीय शासन काल में भाजपा के प्रभारी नरेंद्र मोदी उन पर राजनीतिक हमलो के लिए इंदौर प्रेस क्लब को ही चुनते थे। चुनाव के दौरान आमने-सामने कार्यक्रम में उम्मीदवार खिलाड़ी भावना से अपनी बात कहते आए और चुनाव की कर्कशता को दूर करने में इंदौर प्रेस क्लब की भूमिका पूरे देश में सराही गई।
यह गौरव इंदौर प्रेस क्लब को यूं ही हासिल नहीं था, यह आदरणीय राहुल बारपुते, राजेन माथुर, माणिकचंद बाजपेयी, डॉ. वेदप्रताप वैदिक, प्रभाष जोशी, बालाराव इंगले, दिनेश अवस्थी, ठाकुरदास खुजनेरी, जवाहर लाल राठौर, अभय छजलानी, विद्याधर शुक्ल, प्रताप चांद, जयकृष्ण गौड, गोकुल शर्मा, शशीन्द्र जलाधारी ने अपनी सकारात्मक, रचनात्मक पत्रकारिता से दिलवाया है। इंदौर प्रेस क्लब को बनाने, संवारने और प्रतिष्ठा दिलाने में सभी वरिष्ठ पत्रकारों की पत्रकारिय भूमिका भी याद की जाती रहेगी। पत्रकारिता के उन्नयन के लिए पत्रकारों के बीच अख़बारी रंजिश कभी आड़े नहीं आई। पत्रकारिता के विकास, पत्रकारिता के उन्नयन में प्रेस क्लब की भूमिका देश भर में न केवल सराही गई, बल्कि इंदौर प्रेस क्लब को उसके लिए मान और सम्मान भी मिला।
#सतीश जोशी
पूर्व अध्यक्ष, इंदौर प्रेस क्लब
इन्दौर