अक्षर की साधना के ऋषि थे डॉ. शरद पगारे- सत्तन जी इन्दौर। निमाड़ की माटी का लाल नर्मदा के जल को हृदय में आत्मसात करते हुए साहित्य और अक्षर की साधना डॉ. शरद पगारे ने की। वो अपनी भाषा, संस्कृति और संस्कारों के प्रति भी समर्पित रहे। ऐसे व्यक्ति का […]

● डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ धरा पर एक ओर ताप बढ़ा हुआ था, कुछ बौछार मिट्टी के सूखेपन को कम कर रही थीं, इसी बीच गुलारा बेगम जैसे किरदार को जनमानस के बीच में पहुँचाने वाले कुशल कुम्भकार की महायात्रा की ख़बर ने झकझोर दिया। मालवा-निमाड़ ही नहीं अपितु देशभर […]

हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का हीरक जयंती (75वाँ) अधिवेशन 23, 24, 25 जून 2024 को कोरापुट उड़ीसा में सोल्लास और सोउद्देश्य सम्पन्न हुआ। अधिवेशन हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग एवं केन्द्रीय विश्वविद्यालय उड़ीसा के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय प्रांगण में सम्पन्न हुआ जिसके मुख्य अतिथि हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति […]

इंदौर (म.प्र.) साहित्य राष्ट्र का दर्पण हेता है | प्रत्येक साहित्यकार अपनी रूचि के अनुसार विविध विधाओं के माध्यम से अपने लेखन धर्म को संपन्न करता है किन्तु राष्ट्र हित व राष्ट्र उत्थान सदैव साहित्य का मूल रहा है | राष्ट्रीय चिंतन के इसी क्रम में यदि किसी क़लमकार को […]

भारतेन्दु मण्डल की अंतिम आभा रहे रत्नाकर इन्दौर। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर द्वारा कालजयी साहित्यकार स्मरण शृंखला में मंगलवार को सुप्रसिद्ध साहित्यकार, बृज भाषा की लब्धि जगन्नाथ दास रत्नाकर को आदर के साथ स्मरण किया। उनके जीवन चरित्र और कृतित्व पर साहित्यमंत्री डाॅ. पद्मा सिंह ने विस्तार से […]

इन्दौर। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘सृजन विविधा’ में रचनाकारों के रचनापाठ के साथ-साथ मात्रिक कार्यशाला भी आयोजित की गई। शिक्षिका मनीषा व्यास ने छंद के विधान पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम संयोजक व समिति की साहित्य मंत्री डॉ. पद्मा सिंह ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।