मातृभाषा परिवार

मातृभाषा संपादक मण्डल:

संस्थापक एवं संपादक : डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’
अर्पण जैन एक ऐसे उद्यमी और निवेशक हैं, जिन्हें कई कंपनियों को शुरू करने और सफलतापूर्वक उनका संचालन करने का श्रेय हासिल है। डॉ.अर्पण जैन मध्यभारत की सफलतम आई टी कंपनी सेंस टेक्नॉलाजीस के संस्थापक हैं। यह कार्पोरेशन मध्यभारत में वेबसाइट, मोबाइल एप, पोर्टल बनाने वाली कंपनियों में शामिल है। इसके अलावा अर्पण ने खबरहलचल.कॉम, केएनआईइंडिया.कॉम, इन्डियनरिपोर्टरस.कॉम, उर्दूभाषा.कॉम जैसी तमाम कंपनियों की आधारशिला रखी। राजीव गाँधी विश्वविद्धयालय के अंतर्गत एसएटीएम कॉलेज से कम्प्यूटर साइंस में बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही अर्पण जैन ने सॉफ्टवेयर व वेबसाईट का निर्माण शुरू कर दिया था। उन्होंने फॉरेन ट्रेड में एमबीए किया,तथा पत्रकारिता के शौक के चलते एम.जे. की  पढ़ाई भी की है। समाचारों की दुनिया ही उनकी असली दुनिया थी, जिसके लिए उन्होंने सॉफ्टवेयर के व्यापार के साथ ही खबर हलचल वेब मीडिया की स्थापना की और इसे भारत की सबसे तेज वेब चेनल कंपनियों में से एक बना दिया। साथ ही ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ पर ही अर्पण ने अपना शोध कार्य सम्पन्न किया है अर्पण ने देश के कुछ दिग्गज संपादकों के साथ भी लंबे वक़्त तक चलने वाली, कामयाब साझेदारी की।अर्पण जैन सोशल मीडिया और ऐप्स पर काफी सक्रिय रहते हैं और इन प्लेटफॉर्म्स पर तैरती खबरों के साथ-साथ विचारों पर भी अपनी पैनी निगाह रखते हैं। भारत के हर राज्यों में अर्पण की टीम है और इसमें पत्रकार के साथ-साथ, सामाजिक कार्यकर्ता, विद्धार्थी आदि शामिल हैं।अर्पण जैन ‘अविचल’ खबर हलचल न्यूज के संपादक है और पत्रकार होने के साथ साथ , शायर और स्तंभकार भी हैं। अविचल ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में स्त्री की पीड़ा, परिवेश का साहस और व्यवस्थाओं के खिलाफ तंज़ को बखूबी उकेरा है, और आलेखों में ज़्यादातर पत्रकारिता के आधार आंचलिक पत्रकारिता को ज़्यादा लिखा हैं। मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील में पले-बढ़े और इंदौर को अपना कर्म क्षेत्र बनाया। अब जबकि अब पाठक वर्ग धीेरे -धीरे टीवी से हटकर डिजिटल मीडिया की तरफ रुख कर रही है, अर्पण ने भी डिजिटल मीडिया में कुछ बड़ा करने की ठानी है। अर्पण ने ‘मेरे आंचलिक पत्रकार’ नाम से एक किताब भी लिखी है। वह फिलहाल अपनी दूसरी किताब पर काम कर रहे हैं, जो भारत में ‘वेब पत्रकारिता कैसे करना है’ इसके बारे में होगी। साथ ही एक साझा काव्य संग्रह ‘मातृभाषा-एक युगमंच’ भी प्रकाशित हुआ है। भारत का पहला पत्रकारों के लिए बनाया गया सोशल नेटवर्क और पत्रकारिता का विकिपीडिया www.IndianReporters.com” भी अर्पण जैन द्वारा ही संचालित किया जा रहा है।

पिता: श्री सुरेश जैन

माता: श्रीमती शोभा जैन

पत्नी: श्रीमती शिखा जैन

जन्म: २९ अप्रैल १९८९

शिक्षा: बीई (संगणक विज्ञान अभियांत्रिकी)

एमबीए (इंटरनेशनल बिजनेस)

पीएचडी- भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ

 पुस्तकें:

१. मेरे आंचलिक पत्रकार ( आंचलिक पत्रकारिता पर केंद्रित पुस्तक )

२. काव्यपथ ( काव्य संग्रह)

३. राष्ट्रभाषा (तर्क और विवेचना)

४. नव त्रिभाषा सूत्र (भारत की आवश्यकता)

५. हिन्दीग्राम

६. हिन्दी! आखिर क्यों?

७. एक अल्हड़ दीवाना कवि -राजकुमार कुम्भज

८. वारांगना

९. पत्रकारिता और अपेक्षाएँ

१०. महायात्री (कविता संग्रह )

 साझा संग्रह:

१ मातृभाषा एक युग मंच ( साझा काव्य) संग्रह

२. मातृभाषा. कॉम ( साझा काव्य संग्रह )

३. मातृभाषा. कॉम  3 (साझा काव्य संग्रह )
४. चिट्ठियाँ ( साझा आलेख संग्रह )

५. कथा सेतु ( साझा लघुकथा संग्रह)

 संपादन: 1. मातृभाषा.कॉम

2. मातृभाषा.कॉम –

 दायित्व:

राष्ट्रीय अध्यक्ष- मातृभाषा उन्नयन संस्थान

 पत्रकारिता:

प्रधान संपादक- खबर हलचल न्यूज ( साप्ताहिक अख़बार)

प्रधान संपादक- के एन आई न्यूज ( न्यूज एजेंसी)

प्रधान संपादक- साहित्य ग्राम पत्रिका

 व्यवसाय:

समूह सह संस्थापक- सेंस समूह

मुख्य कार्यकारी निदेशक- सेंस टेक्नॉलोजिस

संस्थापक- मातृभाषा.कॉम

संस्थापक- हिन्दीग्राम

संपर्क:  +९१-९४०६६५३००५ | +९१-९८९३८७७४५५

सम्मान:
1.
पत्रकार विभूषण अलंकरण (आईजा, मुंबई)
2.
गणेश शंकर विद्यार्थी श्रेष्ठ पत्रकार सम्मान ( गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब, इंदौर इकाई)
3.
नगर रत्न अलंकरण ( इंदौर )
4.
काव्य प्रतिभा सम्मान (इंदौर)
5. Leaders of Tomorrow Award (India Mart, Mumbai)
6.
नेशन प्राईड, इंडिया एक्सीलेंस अवार्ड ( प्रतिमा रक्षा मंच, दिल्ली)….. आदि

भ्रमण भाष : +91-9893877455 | +91-9406653005
अणुडाक :arpan455@gmail.com
अंतरताना : www.arpanjain.com

सह संस्थापक एवं प्रबंध संपादक: शिखा जैन
एक स्त्री का दायित्व केवल यह ही नहीं होता की घर को संभाले, चूल्हे-चौके, बच्चें, परिवार तक की चार दीवारी के बाहर भी उसके सपनों का आकाश होता है। इसी बात तो सिद्ध किया है महिला सशक्तिकरण और सक्षमीकरण की आवाज़ बन कर उभरी नायिका शिखा जैन ने। जिसका जुनून ही उसके समाज में होने की पहचान है, जो हर समय ज़रूरतमंदों के साथ हो कर हिंदी भाषा की राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापना हेतु अपने पति डॉ अर्पण जैन अविचल के साथ सबलता बन कर खड़ी हो गई, जिसने व्यवसाय और मुसीबत के दौर में भी अपने सिद्धांतों का साथ नहीं छोड़ा। हम बात कर रहे है मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी  इंदौर में रहने वाली, और हिन्दी साहित्य जगत की सेवा क्षेत्र  में कदम रखते हुए संपादक और प्रकाशक भी बनी शिखा जैन की । शिखा ने आरंभिक शिक्षा उज्जैन जिले की खजरोद तहसील से हासिल की, विक्रम विश्वविद्धयालय के अंतर्गत शासकीय महाविद्यालय,बी. कॉम. में स्नातक की पढ़ाई की उसके बाद एम. कॉम  स्नातकोत्तर किया।४ सितम्बर  को पिता शरदकुमार ओस्तवाल और माता राजश्री के दो बच्चों में से सबसे बड़ी हैं। इनका एक छोटा भाई भी है। आपका विवाह धार जिले के कुक्षी  निवासी श्री सुरेश जैन और श्रीमती शोभा जैन के सुपुत्र डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ के साथ हुआ, डॉ जैन प्रतिष्ठित साहित्यकार, पत्रकार, संपादक और सेन्स समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होने के साथ-साथ कई सम्मान से नवाजे जा चुके लेखक और हिंदी सेवी है।शिखा ने विवाह के उपरांत अपने सपनों को पंख देने के उद्देश्य से घर की दहलीज के बहार पहली बार एक संस्थान में नौकरी हेतु कदम निकाला। उसके बाद पति के व्यवसाय में सहभागी बनने लग गई। धीरे-धीरे पति के रुझान के साथ कदमताल करते हुए शिखा स्वयं भी हिन्दी सेवा के मैदान में उतर गई। और संस्थान के नारे ‘हिन्दी के सम्मान में हर भारतीय मैदान में’ को आत्मसात करते हुए मातृभाषा.कॉम. हिंदीग्राम के साथ स्त्री सम्मान और आधी आबादी की गूंज को मुखर करने के उद्देश्य से ‘वुमन आवाज़’ की स्थापना की।वुमन आवाज़ के माध्यम से शिखा ने सबसे पहले स्त्रीशक्ति के एकत्रिकरण का कार्य किया, ९ मार्च २०१८ को महिला दिवस के दिन अपने संपादन में वुमन आवाज़ साझा संग्रह को विमोचन हुआ, जिसमें ५० से अधिक महिला रचनाकारों की रचनाओं को सम्मिलित किया। उसके बाद अगस्त माह में ५५ किताबों का विमोचन हुआ और वुमन आवाज़ द्वारा ६० महिलाओं का सम्मान किया गया।इसके बाद लगातार हिंदी सेवा में तत्पर रहने वाली शिखा ने हिंदी भाषा के गौरव की स्थापना हेतु स्वयं को राष्ट्रसेवा के हवन में झोंक दिया। यहां से फिर एक नई राह खुली संपादन के साथ स्वयं का प्रकाशन । फिर अपने पति के डॉ. अर्पण जैन  के सहयोग से एक प्रकाशन आरम्भ करने का संकल्प लिया जिसे फरवरी २०१९ को मूर्त रूप मिला। इस प्रकाशन का उद्देश्य हिन्दी साहित्य को कम से कम मूल्य पर एवं संचार माध्यमों एवं नई तकनीकियों के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाकर हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु आंदोलन में सक्रिय सहभागिता।

शिखा आज कई संस्थाओं जैसे मातृभाषा उन्नयन संस्थान में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, हिन्दी ग्राम में सह संस्थापक, मातृभाषा.कॉम में सह संस्थापक, साहित्यकार कोश में सह संस्थापक तथा सेन्स समूह में बतौर निदेशक  शीर्ष दायित्व का निर्वहन कर रही हैं। इन सब के साथ–साथ कई साहित्यिक और गैर साहित्यिक संस्थानों में विभिन्न दायित्वों पर सक्रिय रूप से कार्यरत हैं । शिखा छोटे से शहर से बड़ी सोच के साथ लगातार देश भर में कई भाषाई आंदोलन में सक्रिय हैं। इस युवा उद्यमी के पास युवाओं के लिए सिर्फ एक सलाह है कि “ख़ामोशी से की गई मेहनत कभी ख़राब नहीं होती, जिम्मेदारी के साथ-साथ विश्वास के बीजों को रोपते हुए आगे बढ़ें।”

नाम – शिखा जैन

पति – डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ (राष्ट्रीय अध्यक्ष- मातृभाषा उन्नयन संस्थान)

पिता- श्री शरद ओस्तवाल

माता- श्रीमति राजेश्वरी ओस्तवाल

जन्मतिथि – 04 सितम्बर

शिक्षा – एम.कॉम

कार्यक्षेत्र – व्यवसाय

सामाजिक क्षेत्र – हिंदी सेवा एवं सामाजिक कार्यकर्ता ।

संपादन-

वुमन आवाज़ (साझा काव्य संग्रह-अंतरा शब्दशक्ति प्रकाशन से 2018)

वुमन आवाज़ (साझा काव्य संग्रह-संस्मय प्रकाशन से 2019)

संस्थापक-

Womenaawaz.com

एक ऐसा वेब मंच जो आधी आबादी से जुडी जानकारी, समाचार, योजनाएं, साहित्य आदि प्रसारित प्रचारित करता है।

पदभार:

वुमन आवाज़.कॉम (आधी आबादी की गूंज) -संस्थापक एवं संपादक

मातृभाषा उन्नयन संस्थान- राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य

हिन्दी ग्राम – सह संस्थापक

मातृभाषा.कॉम -सह संस्थापक

साहित्यकार कोश – सह संस्थापक

सेन्स समूह –निदेशक

संस्थापक- संस्मय प्रकाशन

भ्रमण भाष : +91-7049577455
अणुडाक :shikhaarpanjain38@gmail.com
अंतरताना : www.womenaawaz.com

स्थानीय संपादक : भावना शर्मा

जीवन के उतार-चढ़ाव जिसे अपने पथ से विचलित न कर पाएँ, झंझावातों से अकेले लड़े, हिम्मत और हौंसले के दम पर दुनिया में अपना लोहा मनवा ले, मानवता और वात्सल्य को अपने भीतर रखते हुए नेतृत्व क्षमता का दर्पण बन जाए, उस शक्ति को संसार आधी आबादी यानी स्त्री कहता है। संसार के निर्माण से लेकर संचालन तक महनीय दायित्व संभाले हुए आधी आबादी हर दौर में अग्रणीय रही है। इसीलिए हमारे शास्त्रों में भी स्त्री को पूजनीय माना है और सृजक के रूप में सर्वोत्कृष्ट दर्जा भी हासिल है।

इसी आधी आबादी के प्रतिनिधित्व के रूप में सैंकड़ो स्त्रियाँ भारत की गरिमा में अभिवृद्धि कर रही हैं। इस तारतम्य में कहानी में एक किरदार ऐसा भी है, जिसके होने पर कहानी भी घमण्ड कर सकती है। ख्यात कहानीकार, दिल्ली निवासी भावना शर्मा, जो अपने संघर्ष से साहित्य और प्रकाशकीय दायित्व को परिभाषित भी कर रही है और उसका निर्वहन भी।
25 नवम्बर को रविदत्त शर्मा और उर्मिला शर्मा के घर एक लड़की का जन्म हुआ, जिसका नाम भावना रखा गया। भावना की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में ही हुई है, फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर (हिन्दी) की पढ़ाई कर बी. एड. का अध्ययन किया। इसी के साथ अनुवाद में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, भारतीय अनुवाद परिषद व मल्टी मीडिया और वेब डिजाइनिंग इत्यादि व्यावसायिक डिप्लोमा अर्जित किए।
अध्ययन उपरांत भावना ने लेखकीय कर्म को अपने लिए चयनित किया। कहते हैं लेखकीय कर्म तो विधि प्रदत्त होता है, जो जीवन के सभी महनीय कर्मों के अतिरिक्त चुनिन्दा मनुष्यों में ईश्वर स्वयं प्रविष्ट करता है। भावना के भीतर भी इस सृजकधर्म का प्रस्फुटन ईश्वरीय कृपा है।
भावना का जन्म और कर्म स्थल राजधानी दिल्ली है और यही वह शहर है जहाँ से बतौर कहानीकार भावना को पहचान मिली। भावना शर्मा का पहला कहानी संग्रह अतुल्य रिश्ते प्रकाशित हुआ। इसके अलावा सैंकड़ो पत्र-पत्रिकाओं में भावना की कहानियाँ, कविताएँ और लेख भी प्रकाशित होते रहते हैं। लेखन के साथ-साथ भावना शर्मा रंगमंच पर अभिनय में भी अपना जोहर मनवाती रहती हैं, थिएटर में कई नाटकों में भावना अभिनय कर चुकी हैं। यह नितांत सच है कि किसी भी व्यक्ति का जीवन उनके भीतर समाहित प्रतिभाओं के पोषण, पल्लवन और जीवन्तता के कारण ही अग्रेषित और सार्थक होता है। भावना के भीतर कई प्रतिभाओं का समन्वय है, जैसे नाट्य, लेखन, साहित्य और नृत्य में भी भावना की गहरी रुचि है। भावना व्यावसायिक रूप से पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में कार्यरत हैं, संस्मय प्रकाशन में बतौर प्रबंधक कार्यरत भावना शर्मा, मातृभाषा उन्नयन संस्थान की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं और संस्थान के माध्यम से देश में लगातार हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार करते हुए अपने प्रकाशकीय दायित्व को भी निभा रही हैं। अब तक कई सम्मान भावना को प्राप्त हुए, इनमें साहित्य गौरव सम्मान, वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई सम्मान, महिला गौरव सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान, अखण्ड गहमरी सम्मान इत्यादि सम्मिलित हैं।
भावना का जीवन संघर्ष के अध्यायों को नियमित बुनता हुआ आगे बढ़ा, किन्तु भावना ने न हारने की कसम खा कर अपने जीवन की मुस्कुराहटों को चुना। यही कारण है कि भावना शर्मा वर्तमान समय में भी सतत प्रयासों के बूते रोज़ अपनी तकलीफ़ों को मात दे रही हैं। और यह टकराहट वर्तमान दौर की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी है।
बहरहाल, संघर्ष के दस्तावेज़ो की ज़िम्मेदार कहानी के रूप में भावना शर्मा अपनी कहानी का शीर्षक भी हैं। भावना के व्यक्तित्व और कृत्तित्व दोनों ही बाकमाल हैं। ऐसे व्यक्तित्व समाज के पुनरुत्थान के लिए पैदा होते हैं और भावना शर्मा तो हमेशा अपने सुव्यवस्थित व्यक्तित्व और कसावट युक्त कृत्तित्व से आमजन मानस को प्रभावित ही नहीं करती अपितु उनकी हिम्मत और हौंसला बनकर सदैव प्रेरणा भी देती हैं। स्त्री ही नहीं वरन् पुरुषों को भी इस तरह के व्यक्तित्व से प्रेरणा हासिल कर अपने जीवन में सकारात्मकता को बढ़ाना चाहिए और अपने नज़रिए को मज़बूत करना चाहिए। हताश किस क़दर टूट कर ख़ुद बिखर जाती है, भावना शर्मा के क़िरदार से यह साबित होता है।

भ्रमण भाष : +91 90134 66326 | +91-8800
अणुडाक : bsbhavna123@gmail.com
अंतरताना : www.hindigram.com

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।