महंगी दावत

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atul sharma

एक पार्टी में हम घूम रहे थे,
खाली जगह को ढूँढ रहे थे।
भीड़ से हर मेजबान घिरा था,
मैं ही एक ऐसा सिरफिरा था।
जो भीड़ से इतनी दूर खड़ा था,
मन मेरा भी दावत में पड़ा था।

एक टिक्की का दसों हाथ स्वागत करते,
तब टिक्की किसी एक का मान बढ़ाती।
टिक्की पाकर जो बाहर निकल जाता,
भाग्यशाली विजेता वह खुद को पाता।
बाकी नौ अपनी हार स्वीकार करते हैं,
इंतजार अगली टिक्की का करते हैं।
टिक्की दम तोड़ती गई,हाथ बढ़ते गए,
लोग नए-नए हथकंडे यूँ ही गढ़ते गए।

उधर देखें दाल की कैसी लीला है,
कमजोरी में उसका रंग भी पीला है।
मरीजों की हितैषी मूंग की दाल,
पार्टी में सरपट थी दाल की चाल।
दर्द देख दाल का,मक्खन पिघल जाता है,
बेदर्द इंसान उसे,यूँ ही निगल जाता है।
दाल मक्खन की यारी तो जगजाहिर है,
मक्खन दाल में घुसने में माहिर है।
मैंने क्षण भर को अपनी पलक झपकी, उधर दाल पर कुछ लोगों ने मारी लपकी। तभी एक घटना का उदय हुआ, मैं न समझा कि क्या हुआ।थप्पड़ और घूँसों की बौछार हो गई, लातों का प्रयोग शायद मजबूरी हो गई। तभी कुछ ऐनकधारी वहाँ आए, उग्र युवा कुछ यूँ समझाए। पार्टी में कुछ-कुछ हो जाता है, किसी का कोट गन्दा भी हो जाता है। तभी पिटा अपराधी स्वतंत्र सांस लेने लगा, रो-रो दाल गिरने की मजबूरियां गिनाने लगा। पिटे मेहमान के तो फिर दर्शन नहीं हुए, गन्दे कोट वाले,मेरे पास आ खड़े हुए। काश ये बुद्धि इन्हें पहले आई होती, तो ना कोट बिगड़ता ना लड़ाई होती।

तब गोल गप्पे की मेज को मैंने देखा,
और भीड़ की लालायित दृष्टि को देखा।
है उपनाम गोल गप्पे का बताशा,
जो कुछेक को देता खुशी- कुछेक को हताशा।
कुछ मीठा बताशा मांगते,कुछ खट्टा,
बताशे की आस में,सभी थे इकट्ठा।
मुझे सोंठ लगा के देना,मुझे खटाई,
मुझे चना,मुझे आलू ऐसे में एक आवाज आई।
मुझे एक ही बताशे में,सारी चीजें भर दे,
जो मेरी सारी इच्छाओं को पूरा कर दे।
तभी गप्पा स्वामी ऊँचे स्वर में बोला,
आत्मविश्वास से उसका तन- मन डोला।
एक बताशे में सारी चीजें भर दूंगा,
बशर्ते बताशे का आकार बड़ा कर दूंगा।
मुझे तो आपके श्रीमुख का नक्शा चाहिए,
और उसकी मारक क्षमता का अंदाजा चाहिए।
या फिर आप थोड़े इन्तज़ार का मजा लीजिए,
अपनी इच्छापूर्ति हेतु थोड़ा इन्तज़ार कीजिए। खट्टा पानी,मीठा पानी केवल पानी हो जाएगा,
चना,सोंठ,आलू का इसमें मिश्रण हो जाएगा।
उस चरणामृत का जब आप पान करेंगी,
आत्माएं तृप्त हो आपका धन्यवाद करेंगी।

ऐसी तो हर मेज पर लाचारी और आफत थी,
ये किसी पैसे वाले की दावत थी।
वरना साफ जगह पर बिछी चटाई होती,
पत्तल पर सब्जी,पूड़ी और मिठाई होती॥

#अतुल कुमार शर्मा

परिचय:अतुल कुमार शर्मा की जन्मतिथि-१४ सितम्बर १९८२ और जन्म स्थान-सम्भल(उत्तरप्रदेश)हैl आपका वर्तमान निवास सम्भल शहर के शिवाजी चौक में हैl आपने ३ विषयों में एम.ए.(अंग्रेजी,शिक्षाशास्त्र,समाजशास्त्र)किया हैl साथ ही बी.एड.,विशिष्ट बी.टी.सी. और आई.जी.डी.की शिक्षा भी ली हैl निजी शाला(भवानीपुर) में आप प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैंl सामाजिक क्षेत्र में एक संस्था में कोषाध्यक्ष हैं।आपको कविता लिखने का शौक हैl कई पत्रिकाओं में आपकी कविताओं को स्थान दिया गया है। एक समाचार-पत्र द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है। उपलब्धि यही है कि,मासिक पत्रिकाओं में निरंतर लेखन प्रकाशित होता रहता हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को उजागर करना हैl 

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14 thoughts on “महंगी दावत

  1. लिखते रहिये कविताएँ,भारतीय संस्कार के उजड़ते हल बयान करते रहिये। कभी तो समाज सुधरेगा।

  2. बहुत बहुत धन्यवाद, आपका आशीर्वाद हमारे साथ बना रहे।

  3. सभी दर्शकों को पसंद आई यह कविता। इसके लिए आप सबका बहुत बहुत आभार।

  4. अम्मा ककी दो अंगुलियाँ नामक कविता लिखी है उसमें समाज की समस्याओं पपर कटाक्ष किया है। आप पढ़ें

  5. समाज में जागरूकता पैदा करना, कवि का धर्म है

  6. जय हिंदी साहित्य ,
    जय हिंदी ,
    जय हिंदुस्तान

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।