हेमंत श्रीमाल: हिन्दी गीतों की गमक

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हेमंत श्रीमाल: हिन्दी गीतों की गमक

● डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

इस लालकिले की पावन माटी कुमकुम की पहचान है
ये मेरा हिन्दुस्तान है, ये मेरा हिन्दुस्तान है

जिसकी सुबहें चांदी, संध्या केसर की बरसात करे
जिसकी रातें इंद्रपुरी के मौसम को भी मात करें
चंदन वन का परिचय मिलता जिसकी क्यारी-क्यारी से
सूरज चंदा आरती करते आकर बारी-बारी से
ऐसे देश के इक ज़र्रे पर सौ जन्नत कुर्बान हैं

गंगा जैसी ममता है और साहस तुंग हिमालय सा
सेवा एक तपस्या है और पावन नेह शिवालय सा
दशरथ है हर बाप यहाँ हर माता जीजाबाई है
हर बहना झाँसी की रानी, लक्ष्मण सा हर भाई है
मेरे देश का बच्चा-बच्चा, अर्जुन सी संतान है

-(हेमंत श्रीमाल )

सात स्वर जब एक संगीत को जन्म देते हैं, मुक्तक काव्य के स्वरूप को आमंत्रित करते हैं, तब कहीं जाकर गीत जन्म लेता है। ऐसे सैंकड़ो गीतों के सृजक जो यथानाम अपने गीतों की स्वर्णिम रश्मि हिन्दी कवि सम्मेलनों के माध्यम से पहुँचा रहे हैं, उनका नाम हेमंत श्रीमाल है। बाबा महाकाल की नगरी में 12 अगस्त 1950 को माता दमयंती देवी और पिता डॉ. प्यारेलाल श्रीमाल ‘सरस पंडित’ के घर जन्मे हेमंत श्रीमाल जी एक सहज सरल सरस्वती पुत्र हैं। संगीत आपको अपने पिता से विरासत में मिला क्योंकि आपके पिता देश के नामचीन संगीत शास्त्रीयों में से एक रहे हैं।

आपकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा भी उसी उज्जैनी नगरी में हुई, जहाँ से भगवान श्री कृष्ण ने सांदीपनि आश्रम में रहकर अपनी शिक्षा अर्जित की। एम.कॉम व सीए (इंटरमीडिएट) तक अध्ययन उपरांत आपने भारतीय स्टेट बैंक में नौकरी की, जहाँ अनवरत 33 वर्ष सेवा करने के उपरांत 2009 में आप सेवानिवृत हुए। कवि प्रदीप को अपना आदर्श मानने वाले श्री हेमंत श्रीमाल जी ने 4 दशकों के अपना सफ़र हिन्दी कवि सम्मेलनों में तय करके सैंकड़ो गीतों का सृजन कर हिन्दी साहित्य को सौंप दिया।

इस काव्य यात्रा में दिल्ली का लालकिला, पार्लियामेन्ट्स क्लब नई दिल्ली, फ़िल्म ट्रस्ट ऑफ़ इण्डिया मुम्बई, राजस्थान समाज बैंगलोर, पंजाब एसोसिएशन चैन्नई, जयपुर की गीत चांदनी, हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा आयोजित नेशनल प्रोग्राम्स तथा संस्कृति मंत्रालय भोपाल द्वारा आयोजित कई अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों के अतिरिक्त देश के लगभग समस्त प्रतिष्ठापूर्ण सैंकड़ो काव्य मंचों पर आपके गीतों ने एक अनूठी पहचान अर्जित की है। दिल्ली दूरदर्शन सहित देश के विभिन्न दूरदर्शन केन्द्रों द्वारा अनेक बार काव्य पाठ प्रसारण के साथ-साथ चर्चित धारावाहिक ‘वाह-वाह’ में कई बार आपकी कविताओं का प्रसारण हो चुका है। धारावाहिक ‘एहसास’ के शीर्षक गीत की रचना एवं कुछ गीतों के एच. एम. वी. द्वारा रिकार्ड्स भी बनाये गये हैं। सन् 1986 में उज्जैन शहर से छोटे परदे (टेलीविज़न) पर एकमात्र सर्वप्रथम पहुँचने वाले कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित आयोजन अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन में आपको विशेष रूप से सम्मानित किया गया। अभिनव कला समाज भोपाल द्वारा ‘अभिनव शब्द शिल्पी सम्मान’, भारतीय स्टेट बैंक मुम्बई द्वारा ‘सर्जक सम्मान’, अखिल भारतीय जैन सभा उदयपुर द्वारा ‘जैन शिखर सम्मान’, अक्षर विश्व द्वारा ‘रंग तरंग सम्मान’, पंजाब एसोसिएशन चैन्नई द्वारा ‘काव्यश्री सम्मान’, नगर पालिका निगम उज्जैन द्वारा प्रतिष्ठित ‘श्रीकृष्ण सरल सम्मान’ तथा मध्य प्रदेश शासन द्वारा ‘सम्राट विक्रमादित्य साहित्य अलंकरण’ के साथ ही देश-प्रदेश की अनेक संस्थाओं द्वारा आपको निरन्तर सम्मानित होने का गौरव प्राप्त होता रहा है। दो पुत्र और एक पुत्री के पिता श्री हेमन्त श्रीमाल सन् 1986 से दिल्ली के लालकिला कवि सम्मेलन में उल्लेखनीय काव्य पाठ से अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। अभी-अभी सन् 2019 के लालकिला कवि सम्मेलन में भी आपका काव्य पाठ सर्वाधिक सराहा गया। कवि सम्मेलन के पश्चात “गीत के फ़क़ीर हेमन्त श्रीमाल के पानी बाबा वाले गीत में भीग गया लालकिला” इस टिप्पणी ने ख़ूब सुर्खियाँ बटोरीं।

न टेबल, न कुर्सी, न कलम दवात और न ही डायरी, पैदल चलते हुए कविता लेखन आपकी विशेषता है। जल्द ही आपके गीतों के संग्रह “अंजुरी भर आकाश (दार्शनिक)” तथा “चुल्लूभर चांदनी (श्रृंगारिक) बाज़ार में उपलब्ध होने वाले हैं। ऐसे हिन्दी गीतों के सुकुमार हेमंत श्रीमाल जी गीतों की तरह ही सुकोमल और मार्मिक हॄदय वाले व्यक्ति हैं, जो निरंतर समाज सेवा में भी संलग्न रहते हैं।

हेमंत श्रीमाल
रस – शृंगार एवं ओज के गीत
अनुभव – 4 दशकों से अधिक
निवास- उज्जैन (मध्यप्रदेश )

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।