धर्मिक दृष्टिकोण से शाकाहार को समझा जाए तो ज्यादातर धर्म हमें प्रत्येक जीवों से प्यार करना ही सिखाता है। सभी धर्मों में `अहिंसा परमो धर्मः` कहा गया है। शाकाहार पर हर धर्म के अलग-अलग विचार हैं-
हिन्दू धर्म-
हिन्दू धर्म के लगभग हर धार्मिक कार्य में माँसाहार पर पूरी तरह पाबंदी होती है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार हर जीव में भगवान का अंश विद्यमान होता है, इसलिए जीवों की हत्या को महापाप माना गया है। हिन्दू धर्म में बहुत से जीवों को माता व भगवान का दर्जा प्राप्त है।शास्त्रों के अनुसार माँस,मदिरा जैसी तामसिक वस्तुओं का भोजन इंसानों के लिए नहीं है। इसे राक्षसी भोजन की श्रेणी में रखा गया है। इस तरह के भोजन करने वाले मनुष्य आलसी,कुकर्मी,रोगी, दुखी,चिड़चिड़े व राक्षसी प्रवृत्ति के होते हैं। शास्त्रों में शाकाहार को श्रेष्ठ आहार माना गया है। हांलांकि, हिन्दू धर्म में पशुबलि प्रथा का भी प्रचलन है,जो हमेशा से ही विवादित रही है। प्रमुख धर्मिक ग्रंथों यथा वेद,पुराण,गीता व उपनिषद की मूल पुस्तक पशुबलि की इजाजत नहीं देती है।
इस्लाम धर्म-
इस्लाम धर्म के अधिकतर लोग माँसाहारी भोजन करते हैं।ज्यादातर इस्लामिक त्योहारों में पशु बलि देने व माँसाहारी भोजन बनाने की प्रथा है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि इस्लाम में माँसाहार कोई अपराध नहीं,बल्कि धर्म का एक हिस्सा है,लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस्लाम धर्म के संस्थापक मुहम्मद पैगम्बर साहब खुद शाकाहारी थे।इस्लाम के मूल ग्रंथ में स्वाद के लिए जीवों की हत्या को अनुचित माना गया है। कुरान के अनुसार गाय का दूध-घी शिफा(दवा) है,और गोश्त बीमारी। माना जाता है कि,इस्लाम में मांसाहार की शुरुआत अरबी देशों में की गई थी,जो धीरे-धीरे जलसों का एक हिस्सा बन गया और ज्यादातर मुसलमानों ने इसे अपना लिया। कुरान में यह भी बताया गया है कि,ये धरती गाय के सींगों पर टिकी हुई है। इस्लाम का अधिकारिक रंग हरा है,जो शाकाहार का प्रतीक है। देश के पूर्व राष्ट्रपति व महान वैज्ञानिक अब्दुल कलाम साहब भी शाकाहारी थे।
ईसाई धर्म-
ईसाई धर्म के भी ज्यादातर लोग मांसाहार का सेवन करते हैं।उनका मानना है कि इसाई धर्म में माँसाहार वर्जित नहीं हैं,जबकि ईसाईयों के पवित्र धर्म ग्रंथ बाईबिल में साफ शब्दों में लिखा है कि-`भला तो यह है,कि तू न मांस खाए,और न दारु पिए,और न कुछ ऐसा करे,जिससे तेरे भाई-बहन ठोकर खाएं।` ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह को आत्मिक ज्ञान जान दि-बेपटिस्ट से प्राप्त हुआ था,जो मांसाहार के सख्त विरोधी थे। उनके दो प्रमुख सिद्धांत हैं-`तुम किसी जीव की हत्या मत करो और अपने पड़ोसी से प्यार करो।`
सिख धर्म-
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव ने अपने श्लोकों में जीवहत्या न करने का आदेश दिया है। गुरुग्रंथ में स्पष्ट रूप से लिखा है कि-`वेद कतेब कहो मत झूठे,झूठा जो न विचारे- जो सबमें एक खुदा कहु तो क्यों मुरगी मारे(श्री गुरुग्रन्थ साहब,१३५०)l ` सभी सिख गुरुद्वारों में लंगर में अनिवार्य रूप से शाकाहारी भोजन ही बनाया जाता है।
#शुभम कुमार जायसवाल
परिचय: शुभम कुमार जायसवाल की जन्मतिथि-२ जून १९९९ और जन्मस्थान-अजमाबाद(भागलपुर, बिहार)है। आप फिलहाल राजनीति शास्त्र से स्नातक में अध्ययनरत हैं। उपलब्धि यही है कि,छोटी कक्षा से ही छोटी-छोटी कविताएं लिखना,विभिन्न समाचार पत्रों में कई कविताएँ प्रकाशित और दसवीं की परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दो दैनिक पत्रों द्वारा सम्मानित किए गए हैं। रुचि से लिखने वाले शुभम कुमार को सामाजिक क्षेत्र में कार्य के लिए पटना में विधायक द्वारा सम्मानित किया गया है। इनकी कविताएँ कुछ समाचार-पत्र में प्रकाशित हुई हैं। लेखन का उद्देश्य-समाज का विकास,सबको जागरुक करना एवं आत्मिक शांति है।