प्रेम में पगी वह एक बूंद

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sima shah
संतों की भी टूटती रही है समाधियां, 
सत्ता के भी डोलते रहे हैं सिंहासन..
प्रेम की खनक से, 
उन्माद की चमक से.. 
यही प्रेम……..जब 
टेसू को छूकर 
जंगलों से आता है, 
गरम हवाओं पर तैरता हुआ 
एक शीतल एहसास बनकर, 
तो जीवंत हो उठती है, 
प्रेम की सारी अधखुली कलियां..
खामोश बांसुरियां, 
जो अंतस के अबूझ आयामों में 
भर देता है जीवन की उर्जा,अक्षत प्रकाश,
और छा जाता है केसरिया रंग
जीवन के बदरंग कैनवास पर, 
मेरे मनमीत.. 
उसी प्रेम की एक बूंद को, 
छुपाकर रखा था
मैंने सीप के दायरे में,
डुबो दिया था समन्दर की 
अतल गहराईयों में,
आज बनकर निकली है खरा मोती.. 
प्रेम में पगी वह एक बूंद,
और कर दिया है फिर से सराबोर
मुझे तुम्हारे प्रेम की उसी श्वेत चमक में…ll 
                                                                            #डॉ. सीमा शाहजी

परिचय : डॉ. सीमा शाहजी की शिक्षा एम.ए.(हिन्दी-अंग्रेजी) के साथ पीएचडी(हिन्दी)हैl करीब डेढ़ दशक से विभिन्न विधाओं में आपका लेखन जारी है। आदिवासी संस्कृति व इस संस्कृति में महिलाओं की स्थिति पर आपने व्यापक अध्ययन किया हैl भारत सरकार की फ़ैलोशिप हेतु संदर्भ व्यक्ति के रूप में भी कार्यानुभव है,तो राज्य संसाधन केन्द्र (भोपाल-इन्दौर)के लिए साहित्य सृजन करती हैंl पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी(शिलांग) की कार्यशाला और भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय द्वारा भी सीनियर फ़ैलोशिप(2016-17)हेतु चयनित हैl देश-प्रदेश के ख्याति प्राप्त पत्र-पत्रिकाओं में  कविता,कहानियांक,लघुकथाएं,यात्रा वृतांत,निबंध,लेख समीक्षा का प्रकाशन तो,आकाशवाणी के मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के केन्द्रों से कविताओं,कहानियों एवं वार्ताओं का सतत प्रसारण होता रहा है। आप आल इंडिया पोयट्स कांफ्रेन्स(उत्तरप्रदेश)सहित इन्दौर लेखिका संघ,आजाद साहित्य परिषद आदि संस्थाओं से भी जुड़ी हैंl पुरस्कार के तौर पर विद्यासागर की उपाधि,पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी द्वारा सम्मान,महिला सशक्तिकरण लेखन पर पुरस्कार सहित अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर भी सम्मान दिया गया हैl म.प्र. के विभिन्न शा.महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक के रूप में हिन्दी विषय का 2001 से निरन्तर अनुभव हैl  डॉ.शाहजी थांदला(जिला झाबुआ,मप्र)में निवासरत हैंl 

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