शराब विक्रय एवं वितरण का निर्णय:आर्थिक मुनाफा या चुनौती

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शराब और शराबियों की पौ बारह होते ही पूरे देश में हाहाकार मच गया। जैसे ही शराब खरीदने जब और पीने वाले कोरोना काल में बाहर आए तो वह देश और दुनिया की नज़र में आने लग गए। सरकारों को भी शराब का विक्रय करना आर्थिक रूप से लाभ प्रदान करने वाला नज़र आया। ऐसे संकट के दौर में भारत आर्थिक, भौगोलिक एवं 1.38 बिलियन की जनसंख्या के साथ विश्व में क्रमशः पांचवे, सातवें और दूसरे स्थान पर है । जहाँ एक अमेरिका, इटली जैसे देश कोविड19 की एक्सपोनेंशियल ग्रोथ को रोकने में असफल रहे वहीं दूसरी ओर अपनी विशाल जनसंख्या और वृहद भौगोलिक क्षेत्र के साथ में भी भारत ने कोविड19 संक्रमण का सफलतापूर्वक सामना किया है जिसके लिए पूरा विश्व भारत की प्रशंसा कर रहा है, लेकिन सरकार द्वारा शराब एवं भांग विक्रय को अनुमति प्रदान करके देश के भविष्य की सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। सरकार के इस निर्णय की पूरे देश में आलोचना भी हो रही है, लेकिन कब तक इस निर्णय के लिए केवल सरकार की आलोचना की जाएगी? सरकार ने तो अपने अधिकारों का प्रयोग करके शराब की दुकानें खुलवा दी परंतु इन शराब की दुकानों पर जो भीड़ इकट्ठा हो रही है, उसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराएंगे? लेकिन फिर भी प्रजा नासमझ हो भी तो राजा को गलती करने का अधिकार प्राप्त नहीं हो जाता। राजा तो फिर भी जवाबदेह है, अपने राज्य के लिए, और राज्य की प्रजा की संपूर्ण सुरक्षा के लिए ।  चूंकि हर राज्य की अपनी कुछ राजस्व आवश्यकताएं और विशेषताएं होती है, अतः एक ही प्रकार की नीतियाँ एवं निर्णय सभी राज्यों के लिए उचित हो ये हमेशा संभव भी नहीं होता है ।


मेरा हमारे राज्य के मुखिया को यह सुझाव है कि जब आपने भी शराब की दुकानें खोलने का आदेश कर ही दिया है तो अब जोख़िम को कम से कम करने के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि वैश्विक आपदा के समय में शराब के विक्रय के लिए एक नई नीति बनाई जाए । शराब विक्रय एवं वितरण  नीति का निर्माण निम्न सुझावों को ध्यान में रखा जा सकता है:
1. प्रत्येक शराब उपभोक्ता को एक स्मार्ट कार्ड जारी किया जाए। यह कार्ड प्रीपेड कार्ड की तरह ही कार्य करेगा, जिसकी केवाईसी भी अनिवार्य होगी । भविष्य में इसे बायोमेट्रिक सिस्टम से भी जोड़ा जा सकेगा जिसके लिए सुविधा की दृष्टि से आधार कार्ड का डाटा उपयोग में लिया जा सकता है।
2. शराब पर कोविड19 को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम 100% अतिरिक्त टैक्स (सेस) लगाया जाएं। इस अतिरिक्त टैक्स को ‘कोविड19 सेस’ कहा जाए एवं इस सेस की धनराशि को एक अलग खाते में एकत्रित किया जाएं, जिसका उपयोग केवल कोविड19 के राहत कार्यों में ही किया जाए ।
3. प्रत्येक शराब उपभोक्ता का कुल मासिक खपत का रिकॉर्ड रखा जाए एवं इस रिकॉर्ड का सांख्यिकीय विधियों एवं सॉफ्टवेयर की सहायता से विश्लेषण किया जाएl
4. किसी भी शराब उपभोक्ता के द्वारा एक निश्चित कोटे से अधिक शराब क्रय करने पर ऐसे उपभोक्ताओं को विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ दिए जाने पर पुनर्विचार किया जाए । यदि अधिक मात्रा में शराब खरीदने/ सेवन करने वाला व्यक्ति सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं लेता है। आर्थिक रूप से सुदृढ है तो ऐसी स्थिति में संबंधित शराब उपभोक्ता के कार्ड को अतिविशिष्ट उपभोक्ता की श्रेणी में रखा जाए और ऐसे शराब उपभोक्ताओं से दोगुने दर पर कोविड19 सेस वसूली की जाएँ ।
5. किसी भी स्थिति में शराब की बिक्री दुकानों से सीधे उपभोक्ताओं को नहीं होगी। सरकार शराब विक्रय एवं वितरण हेतु एक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से ऑर्डर लेगी तथा शराब सीधे उपभोक्ता के घर पर डिलीवर करवाएगी । शुरूआती समय में इस व्यवस्था के लिए ऐसी सेवाएं प्रदान करने वाली अनुभवी कंपनियों जैसे जोमाटो / स्विगी इत्यादि का सहयोग लिया जा सकेगा एवं भविष्य में इस हेतु नियमानुसार टेंडर प्रक्रिया पालन कर यह व्यवस्था आउटसोर्स भी की जा सकती है।
6. शराब के ठेकेदारों द्वारा इस व्यवस्था का पुरजोर विरोध किया जाएगा, जो की सामान्य है । अतः इन पुराने शराब के ठेकेदारों को ही शराब वितरण केन्द्र बनाया जा सकता है । इन केंद्रों का कार्य मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से प्राप्त ऑर्डर को शराब डिलीवर करने वाली कंपनियों को शराब वितरित करने तक ही सीमित होगा।
7. किसी भी स्थिति में शराब का विक्रय नकद नहीं होगा। बीपीएल या उससे भी निचले स्तर के शराब उपभोक्ताओं को शुरुवात में एटीएम कार्ड के माध्यम से शराब बेची जा सकती है । हालांकि ऐसे उपभोक्ताओं को दृष्टिगत रखते हुए एक समानान्तर व्यवस्था भी लागू की जा सकती है जिसमें सरकार शराब विक्रय हेतु पेपर वाउचर (जैसा कि प्रारंभ में मोबाइल कंपनियां अपने प्रीपेड ग्राहकों के लिए करती थी) जारी कर सकती है । उक्त व्यवस्था से शराब विक्रय से प्राप्त होने वाले कर की चोरी पर पूर्णतः अंकुश लगाया जा सकेगा।
8. कोविड19 के दृष्टिगत, शराब का सेवन केवल निजी स्थानों (जैसे स्वयं का घर/ दुकान इत्यादि) पर ही किया जा सकेगा । किसी भी स्थिति में शराब का सेवन समूह में या सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंधित रहेगा ।
9. शराब का सेवन करने वालों की मासिक खपत की जानकारी सूचना का अधिकार कानून के अंतर्गत मांगी जा सकेगी।
शराब के विक्रय एवं वितरण की नवीन नीति के द्वारा ही शराब विक्रय के जोख़िम को कम करते हुए इससे प्राप्त होने वाली आय में वृद्धि की जा सकती है अन्यथा वर्तमान व्यवस्थानुसार शराब विक्रय एवं वितरण का निर्णय निसंदेह कोविड19 को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा अब किए गए समस्त प्रयासों पर पानी फेर सकता है। विगत दिनों सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी राज्य सरकारों को सलाह दी जा चुकी है कि सरकार द्वारा शराब बिक्री हेतु होम डिलीवरी जैसे विकल्पों पर ध्यान दिया जाना चाहिए वहीं दूसरी ओर जोमोटो द्वारा शराब की होम डिलीवरी के संदर्भ में एक प्रस्ताव आईएसडब्ल्यूएआइ (इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) को दिया गया है। वैश्विक महामारी का सफलतापूर्वक सामना करते हुए अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए यह आवश्यक है कि सरकार द्वारा समय रहते शराब विक्रय और वितरण सम्बन्धी नई नीति का निर्माण किया जाए और इस चुनौती को अवसर के रूप में परिवर्तित कर वैश्विक स्तर पर नया उदाहरण प्रस्तुत करें क्योंकि देश को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होने के लिए आर्थिक रूप से सशक्त होना भी जरूरी है।
 #डॉ. कपिल जैन

लेखक आईआईपीएस, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में मैनेजमेंट फैकल्टी है ।_ 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।