बस्ता

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satindar
भाग-१
बस्ता,जिसे अँग्रेज़ी में बैग और हिंदी में थैला बोलते है,पर मुझे बस्ता बोलना पसंद है,क्योंकि जब छोटे थे,शाला जाते थे तो इसे बस्ता बोलते थे। पता है ये बड़े काम की चीज था,तब भी और अब भी।
बड़े होते गए और बस्ते बदलते गए। कई बार मार भी खाई नया बस्ता लेने को,तो कई बार पुराना बहुत प्यारा लगा।
ये जो नए ज़माने के बस्ते आए,बहुत खूब थे। ज़रूरत पड़ने पर किताबें रख लो,तो कभी कपड़े।
इक अपना भी हम प्याला था,जो मुझे बड़ा अज़ीज़ था।
जब इसे खरीदने बाज़ार गया था,तो पसंद तो कोई और आया था,पर सस्ता और किफायती होने से मां ने यही दिलवा दिया।
मैंने नाक मुँह बना के ले तो लिया और अगले दिन से मेरी किताबें इसके अन्दर और ये मेरे कंधों पर।
हम पैदल ओर साथ-साथ कोचिंग जाते। कभी-कभी मैं बेचारे को साइकिल के कैरियर में दबा देता।
कोई मुझे मारने को होता तो मैं इसे अपनी ढाल बना लेता, और कभी -कभी तो मैं किसी को पेलता तो इसी से…….
जब महाविद्यालय से घंटा पार करके बंदे (बाँध) के किनारे बैठकर मैं घण्टों पानी को घूरता तो ये भी मेरे साथ घूरता रहता पता नहीं,इसे कुछ समझ आता भी था या नहीं। अपनी तो आज तक कुछ समझ नहीं आया पर,सुकून बड़ा मिलता।
कभी कहीं एक-आध दिन को जाना हो तो इसी में कपड़े डाले और हम तैयार।(क्रमशः)
                                                                                                       #सतिंदर सिंह
परिचय : सतिंदर सिंह का जन्म २९ जुलाई १९८५ का है। एम.कॉम. की शिक्षा प्राप्त की है,और शिक्षक हैं। आप उत्तर प्रदेश के ललितपुर में रहते हैं। लिखना आपका शौक है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।