संतों की भी टूटती रही है समाधियां, सत्ता के भी डोलते रहे हैं सिंहासन.. प्रेम की खनक से, उन्माद की चमक से.. यही प्रेम……..जब टेसू को छूकर जंगलों से आता है, गरम हवाओं पर तैरता हुआ एक शीतल एहसास बनकर, तो जीवंत हो उठती है, प्रेम की सारी अधखुली कलियां.. […]