नेह से बंधे धागे प्यार के न तुम संभाल सके न मैं । पूरी करते रहे सभी जिम्मेदारियाँ न पीछे तुम हटे ,न मैं। इक -इक कदम भी आते करीब तो मिट जाती दूरियाँ। एक होने को हमदम न आगे तुम बढ़े, न मैं । खाई थी कसमें फलक तक,साथ […]

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मैं राष्ट्रभाषा मातृभाषा, हिंदी हिंदुस्तान की शान। बीते सात दशक आज़ादी अब तक क्यों न मिली पहचान ? दुनियाँ के सारे देशों को है निज भाषा पर अभिमान। सुनो पराई भाषा का तुम मुझे त्याग करते क्यों गान। उर्दू, आंग्ल, फ़ारसी सब को आत्मसात कर दिया है मान ।बीते…. मुझे […]

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सरेराह कार में ऐ.सी.का मजा लेते हुए मैंने, कुछ मजबूरियों को नंगे पैर चिलचिलाती हुई धूप में, गिड़गिड़ाते हुए देखा! खिलौने ले लो ना मेडम ! आपका बच्चा बहुत खुश होगा। उनके पैरों के छाले मेरे सीने में जखम करते हैं । उनके पैरों में चप्पल भी नहीं हम ऐ.सी […]

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जब से नशामुक्ति अभियान से जुड़ी, तब से ही काशीबाई को जानती हूँ। तीन बच्चे और शराबी पति, जो हर रोज़ अपनी तो अपनी,काशीबाई की मज़दूरी के पैसे भी ज़हर में डुबो देता। काशीबाई कभी केवल रोटी, कभी नमक-चावल खाकर तो कभी भूखी रहकर अपने दिन काट रही थी। आज […]

बेहद उदास असमर्थ-सी उन बेपरवाह उबड़-खाबड़ संकरे-चौड़े घुमावदार रास्तों से भागते-दौड़ते आगे ही आगे उन्नति के लिए सिर्फ अपने ही बिषय में सोचते उपेक्षित करते जाते उसमें भरते जाते जहरीली निशा निरर्थक और व्यर्थ समझ उसकी चमक सौंधी गंध खो रही है खो गई है वो मुस्कुराने की आस में […]

संतों की भी टूटती रही है समाधियां,  सत्ता के भी डोलते रहे हैं सिंहासन.. प्रेम की खनक से,  उन्माद की चमक से..  यही प्रेम……..जब  टेसू को छूकर  जंगलों से आता है,  गरम हवाओं पर तैरता हुआ  एक शीतल एहसास बनकर,  तो जीवंत हो उठती है,  प्रेम की सारी अधखुली कलियां.. […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।