राम रहे ना तुम नर प्यारे कैसे मैं सीता बन जाऊं? रावण हुए सहस्रों पल-पल अब मैं राम कहां से लाऊं।। मेरा भी अंतर्मन चाहे सच्ची प्रीत की रीत निभाते। बस मेरे नैनो से पीते दूजी ना मधुशाला जाते। तुम तो चाहो नित नई प्रीतें मैं जल-जल जोगन बन जाऊं। […]

मैं जनमानस में पुत्रजन्म की ही क्यों लगन देखता रहा | उनके जन्मोत्सव पर मनाते जश्न में क्यों मग्न देखता रहा| अब जाकर मै विचारों से अधिक यथार्थ में उतर पाया हूँ, कामपिपासु नजरों का होते कृत्य जघन देखता रहा | 3.हाँ हर रोज रंगे रहते है अखबार जिन रक्तिम […]

मैं आधुनिक नारी हूँ सशक्तिकरण की पहचान हुँ मैं अबला नादान नही हुँ मैं आधुनिक नारी हूँ । इक्कीसवीं सदी ने दी है नारी उन्मुक्ता की आस है मैं आज हर्षित गर्वित हुँ मैं आधुनिक नारी हूँ । घर आंगन से खेल मैदान तक हु तकनीक का उपयोग करती हूँ […]

चूहा हो गया दसवीं में फेल पापा जी को भेजा ईमेल। खत्म कर रहा ,जीवन का खेल सामने है कढ़ाही भरा है तेल । पिता– बेटा मत करो ऐसी बात घर आ जाओ हो गई है रात । कुंवारी बहने घर में हैं सात आने वाली है जिनकी बारात। चूहा– […]

दो पल की खुशियाँ जीने को दर्द के गुजरे सैलाब कई , गम के निशां लिए दिल पर अनमने गुजरे अजाब कई | लाख छुपाये गम नजरों से आँसू पिघले, फिर गये मचल , किस्मत की भँवर में उलझे, सजे ख्बाब कई, फिर गये बदल | खुदगर्ज निगाहों से दबे […]

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मैं राष्ट्रभाषा मातृभाषा, हिंदी हिंदुस्तान की शान। बीते सात दशक आज़ादी अब तक क्यों न मिली पहचान ? दुनियाँ के सारे देशों को है निज भाषा पर अभिमान। सुनो पराई भाषा का तुम मुझे त्याग करते क्यों गान। उर्दू, आंग्ल, फ़ारसी सब को आत्मसात कर दिया है मान ।बीते…. मुझे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।