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जब तुझसे प्यार करता है,
शादी-ब्याह से क्यों डरता है।
यहाँ-वहाँ की बातें करता है,
दिन में सौ-सौ कसमें खाता है।
अरे!पगली फ़िर भी न समझी,
सिर्फ,समय व्यतीत करता है॥
खेल रहा है तुझ संग,
बांध प्रेम के जाल में..
सोच-समझ करना पार हदें
छोड़ देगा बीच मंझधार में॥
समाज में होगा तेरा नाम
कुल्टा,कुल्छनी,पापी
है ये रीत पुरानी,वो बच जाएगा,
होगी तेरी बदनामी॥
प्यार बहुत हैं करने वाले
बिरले हैं जो साथ निभाते,
मतलब के यार बहुत हैं
दुनिया में बर्बाद बहुत हैं
करते समय व्यतीत बहुत हैं॥
#राजू कुमार महतो’किंग मस्ताना’
परिचय : राजू कुमार महतो साहित्यिक नाम ‘किंग मस्ताना’ के तौर पर रचना लिखते हैं। आपकी मातृभाषा हिन्दी और भोजपुरी है। १९९० में जन्मे राजू कुमार का निवास दिल्ली में है। आपने हिन्दी में बी.ए.तथा एम.ए. के साथ ही विवि अनुदान आयोग से ‘नेट (हिन्दी) भी उत्तीर्ण की है। महफिल-ए-गजल साहित्य समागम सहित अन्य संस्थाओं से भी से सम्मान-पत्र पाए हैं। कुछ पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हैं।
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