जब तुझसे प्यार करता है, शादी-ब्याह से क्यों डरता है। यहाँ-वहाँ की बातें करता है, दिन में सौ-सौ कसमें खाता है। अरे!पगली फ़िर भी न समझी, सिर्फ,समय व्यतीत करता है॥ खेल रहा है तुझ संग, बांध प्रेम के जाल में.. सोच-समझ करना पार हदें छोड़ देगा बीच मंझधार में॥ समाज […]