हम हिंदुस्तानी हैं हिन्दोस्तां की बात करते हैं,
हर वक़्त अमन व चैन की बात करते हैं।
अल्फाजों में मोहब्बत बहुत खूब बयाँ करते हैं,
मिलकर हम आपस में सभी को भाई-भाई कहते हैं।
फिर भी अक्सर आपस मे तकरार करते हैं,
लफ्ज़ो में मोहब्बत और दिलों में बुग्ज़ रखते हैं।
सियासत-दाँ खबरों में यही पैंतरा इस्तेमाल करते हैं,
आजकल इल्म-दाँ भी इसी मौके की तलाश करते हैं।
भाईचारे के बजाए बगावत की बात करते हैं,
अख़बार भी न जाने कितनों की इज़्ज़त सरेआम करते हैं।
भला कभी भुखमरी व बेरोजगारी की भी बात करते हैं,
और न ही आपस में इत्तिहाद कराने की बात करते हैं।
इत्तिहाद तो हमेशा दरवेश ही सिखाया करते हैं,
वो और हैं जो मुल्कों(इंसानियत) को लड़ाया करते हैं।
हिंदुस्तान में तो हमारे गरीब नवाज़ क़याम करते हैं।
रहमान बाँदवी फ़ख्र है हम हिंदुस्तान में रहा करते हैं।
#अब्दुल रहमान