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श्वेत वस्त्र धारिणी माँ,
वीणा पाणि शारदे माँ
मेरी कोठरी में भी तो,
ज्ञान भर दीजिए।
देती रहें आप सारे
कवियों को शुभाशीष,
आप निज हाथ,
मम शीश धर दीजिए।
हम हैं नादान किन्तु
बालक तो आपके ही,
दुख अवसाद पाप,
मात हर लीजिए।
आपकी कृपा से ही तो,
काव्य रचता हूँ माता!
‘राज’ को दयालु आप,
ऐसा वर दीजिए।
#कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’
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