मैंने एक शख्स देखा बड़ा ही भोला–भाला, वही आंख वही नाक वही नयन नक्श, मैंने वही देखा जो दिखाई दिया एक नेक इन्सान देखा। अंदर झांककर देखा वो बड़ा ही भद्दा–सा शैतान था, जो हर किसी को धोखेबाज–फरेबी कहता था सिवाय अपने; मैंने अपने में वो शैतान देखा स्वार्थ देखा। हैं हम महापापी चेहरे पे मुखौटा लगाकर रहते हैं, दूसरों को प्रवचन देते ढोंगीराम देखा ll […]