उपेक्षा मत करो

0 0
Read Time3 Minute, 23 Second
sanjay
बेटियो कि मत करो,
लोगो अब उपेक्षा।
परिवार कि जान-शान,
होती है बेटियां।
घर में खुशाली लेकर,
आती है बेटियां।
संस्कारो के बीज,
बोती है बेटियां।
बेटा अगर हीरा है,
तो मोती है बेटियां।
नरम-गरम स्वभाव कि,
होती है बेटियां।
हर कार्य में निपुर,
होती है बेटियां।
माँ बाप का ख्याल,
रखती है बेटियां।
सास और सुसर को,
माँ-बाप समझती है बेटियां।
दो दो परिवारो को,
सभालती है बेटियां।
सुख दुःख में साथ सदैव,
निभाती है बेटियां।
शिक्षा-दीक्षा में भी,
आगे है बेटियां।
बेटो से आगे निकल गई है,
आज कल बेटियां।
कुल देश और समाज का,
नाम रोशन कर रही है बेटियां।
दहेज कि शूली पर भी ,
चढ़ रही है बेटियां।
दुष्कर्म को भी सहती,
है हमारी बेटियां।
बलात्कार कि शिकार
होती है बेटियां।
लोगो द्वारा किया गया,
अत्याचार सहती है बेटियां ।
लोगो का मनोरंजन,
भी करती है बेटियां।
बहिन बेटी पत्नी, बहु,
माता का फर्ज
निभाती है बेटियां।
यदि वक्त पड़ जाए तो,
शास्त्र उठती है बेटियां।
रणभूमि में दुर्गा,
लक्ष्मी बाई,
बनकर कूदती है बेटियां।
प्रेम प्यार में मीरा राधा,
राँझा, लैला बनकर
 दिखती है बेटियां।
अपना सब कुछ दाव पर,
लगा देती है बेटियां।
और अपने परिवार को,
संकट से उभर लेती है बेटियां।
सामाजिक गतिविधियों में,
आगे आती है बेटियां।
बेटो से बढ़ाकर अपना,
धर्म निभाती है बेटियां।
स्नेह-प्यार, ममता कि,
भंडार है बेटियां।
सच मानो तो बेटो से,
बढ़ाकर है बेटियां।
बेटियो कि मत करो,
लोगो अब तो उपेक्षा।
दो कुलो का रिश्ता,
निभाती है बेटियां।।

#संजय जैन

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

आधा सुखा आधा हरा 

Tue Apr 23 , 2019
आधा सुखा आधा हरा एक पेड़ फुलो से भरा बढता देख पर्यावरण प्रदूषण मिलने लगे भयंकर लक्षण सुंदरता भी खोने लगी सूरज से धरती तपने लगी कभी जल से भरे थे तालाब जब से उमड़ा मानव का सैलाब एक एक दिन बीत रहे थे तालाब लगातार सूख रहे थे भीषण […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।