दुर्गा माता तेरी महिमा अपरम्पार

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subhashini bhardwaj
जल मे थल मे जड चेतन मे,
गूज रही झंकार,
हे मात! तुम्हारी महिमा अपरम्पार,
फूलो मे प्रतिबिम्ब तुम्हारा
कलियो मे मुस्कान,
मन मोहक खुशबू से सारे,
महक रहे उद्यान
सागर की उन्ताल तरंगे ,
करती है मनुहार,
हे मात! तुम्हारी महिमा अपरम्पार,
सूर्य चन्र्द मे तेज तुम्हारी  ,
तारे है धुतिमान,
चरण कमल मे नत मस्तक
ज्ञान और विज्ञान
षट् क्रतुए बारी बारी से,
 मना रही त्यौहार ,
हे मात! तुम्हारी महिमा अपरम्पार;
पक्षीदल विरूदाबलि गाता,
हिमगिरि करना ध्यान,
निर्बल के बल मात दीन को,
देती जीवन दान,
गिरे हुये को गले लगाती,
 करूणा की अवतार,
हे मात! तुम्हारी महिमा अपरम्पार,
विश्वासी सासो की होती,
 कभी ना जग मे हार,
प्रेमामृत से शीतल करते,
नफरत के अंगार,
मन की बन्द खिडकिया खोलो, देखो छटा अपार,
हे मात! तुम्हारी महिमा अपरम्पार,
मन हो सुन्दर ,
तन हो सुन्दर,
सुन्दर हृदय विचार,
नर से नारायण बन जाये,
बने स्वर्ग संसार,
मानव प्रतिमा की पूजा हो,
होवे जय जयकार
हे मात! तुम्हारी महिमा अपरम्पार,
#सुभाषिनी भारद्वाज( शुभी)
 
परिचय-
नाम– सुभाषिनी भारद्वाज
साहित्यिक उपनाम—-“आधुनिक मीरा”  कालेज द्वारा दिया गया नाम,, पुरस्कार सहित
राज्य–उत्तर प्रदेश
शहर—कानपुर
शिक्षा—वाणिज्य,स्नातक, लेखान्कन, पी•सी• एम(इन्टरमीडियट) एम• डी• सी टी , ए •डी •सी •ए , कोर्स आन कम्प्यूटर कानसेप्ट,, स्काउट एण्ड गाईड 
कार्यक्षेत्र– लेखान्कन
विधा–आलोचना, कहानी , कविता,
सम्मान— शिक्षा , साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र मे,
अन्य उपलब्धिया– कालेज स्तर प्रेसीडेन्ट,,  मेरी रचना अन्य मैगजीन मे प्रकाशित हो चुकी है, युवा महिला साहित्य संगम की महासचिव वर्तमान  (राट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय कवि, श्री बिहारी लाल तिवारी “बाबा)  की शिष्या
लेखन का उद्देश्य–समाज को नयी दिशा प्रदान करना,, देश सेवा

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।