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जिंदगी के नए पुराने रंगों से खेल रही हूँ, जाने क्या खुद में,क्या ढूंढ रही हूँ। चारों तरफ फैला है बेबस अंधेरा… क्यों मैं अपनी आंखें मूंद रही हूँ। किसे दोष दें हम इस दुनिया में…, इस हालत की जिम्मेदार मैं खुद रही हूँ वक़्त ने तो आगाह किया था […]

ख्वाब की तश्तरी से क्यूंकर ऐसे लम्हे भी गुजरते हैं, झींगुर-सी बजती रातों में फिर घुंघरू बज उठते हैं। सेज की चादर पर जब भी कोई कनुप्रिया सजती है, बादलों से संधि करती,बिजलियों से मांग भरती है। भाग्य का देकर दिलासा,उसकी चूड़ियां हंसा लेती है, खनक-खनक कर नाहक ही किस्मत […]

जग वालों को बात यही बस खलती रहती है बीच भँवर में नाव हमारी चलती रहती है। काबू में रख लेना चाहे हर कोई इसको, लेकिन ये तो उम्र निगोड़ी ढलती रहती है। तेरी यादों की बस्ती से हर दिन गुजरा हूँ, दिल की धड़कन यादों के बल चलती रहती […]

मुझे तजुर्बा नहीं इतना कि, जिंदगी का हिसाब करुं बस जो पल मिल जाते हैं, उन्हें अपना किये जाती हूँ। तुम ढूंढ लो उन किनारों को, जो साहिल से जुड़े न हों तजुर्बेकार बनते हो, गुल से अलग करके देखो सुगन्ध कहाँ ठहरी, सलीकेदार बनते हो। एक अदब-सा है निगाहों […]

शीश नवाते हैं हम भगवन, चाहें चरण धूलि मिल जाय। पंच विकारी भव के बंधन, दलदल से लो आप बचाय॥ सम्मान तुझे देते भगवन, तेरे दर पर शीश नवाय। ढूंढ रहे हैं खुद को कब से, हमें स्वयं से दो मिलवाय॥ मुरली की वो तान सुना दो, हृदय रहे व्याकुल […]

सामान्यतया चिंता किसी भी प्रकार के कार्य के सफल होने में,पूरा होने में शंका होने पर होती है। सफलता मिलने की शंका जब ही होती है,जब प्रयास में कमी रह जाती है। बच्चों की पढ़ाई को लेकर, खान-पान को लेकर,संस्कारों को लेकर, बिगड़ गई आदतों और संगत को लेकर, शादी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।