वरिष्ठ पत्रकार एवं हिन्दी गौरव अष्ठाना जी का निधन

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इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रान्त प्रचारक, इंदौर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष व हिन्दी गौरव अलंकरण से विभूषित सुप्रसिद्ध हिन्दी सेवी कृष्ण कुमार अष्ठाना ने मंगलवार सुबह 6 बजे निजी अस्पताल में अंतिम साँस ली।

अंतिम यात्रा 14 जनवरी को निज निवास 15 संवाद नगर से 2 बजे रीजनल पार्क मुक्तिधाम के लिए निकलेगी।

ज्ञात हो कि आप भारत के प्रथम बाल साहित्य सृजन पीठ, मध्यप्रदेश के निदेशक रहे हैं। आपका जन्म स्वर्गीय श्री लक्ष्मीनारायण अष्ठाना के घर ग्राम ऊंटगिर, तहसील खैरागढ़, जिला आगरा (उत्तरप्रदेश) में 15 मई 1940 में हुआ। इतिहास व राजनीति विज्ञान में आपने एम.ए. तथा बी.एड. सहित साहित्य रत्न तक अध्ययन किया। इसी के साथ शिक्षक, व्याख्याता एवं प्राचार्य के रूप में 16 वर्ष तक आपने सेवाएँ प्रदान कीं।

वर्ष 1973 में पत्रकारिता में प्रवेश कर दैनिक स्वदेश में 12 वर्ष तक बतौर प्रबंध सम्पादक व सम्पादक के रूप में कार्य किया और इसी के साथ अनेक सामयिक पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। इसके बाद तीन दशक से ‘देवपुत्र’ बाल मासिक में सम्पादक पद का दायित्व निभाते हुए ‘भारतीय बाल साहित्य शोध संस्थान’ की स्थापना की।
अब तक आपकी 5 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं और आप इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रहे हैं। अब तक आपको विभिन्न राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। आप वर्तमान में श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के उप सभापति हैं।

श्री अष्ठाना के निधन पर साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश शासन के निदेशक डॉ. विकास दवे, श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के सभापति सत्यनारायण सत्तन, इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविन्द तिवारी, मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, नितेश गुप्ता एवं साहित्य जगत् ने शोक व्यक्त किया।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।