ख्वाब की तश्तरी से क्यूंकर ऐसे लम्हे भी गुजरते हैं,
झींगुर-सी बजती रातों में फिर घुंघरू बज उठते हैं।
सेज की चादर पर जब भी कोई कनुप्रिया सजती है,
बादलों से संधि करती,बिजलियों से मांग भरती है।
भाग्य का देकर दिलासा,उसकी चूड़ियां हंसा लेती है,
खनक-खनक कर नाहक ही किस्मत को रिझा लेती है।।
सुरमई शाम के साए तले,जब कई तार-सितार बजते हैं,
झींगुर-सी बजती रातों में फिर क्यूं घुंघरू बज उठते हैं।
होंठ लहू का रंग लगाए,और केश ख्वाहिशों का गजरा,
माथे गम की सिलवटें,वो झुकती पलकें जूगनू का कतरा।
भीगी आंखों से दर्पण में कैसे,अपनों के अक्स झांकती हैं,
बंद अंधेरी कोठरियों में फिर खुद की रूह वो तलाशती है।।
इन सियासी दुकानों में जब,खासे रिश्ते-नाते बिकते हैं,
झींगुर-सी बजती रातों में फिर वही घुंघरू बज उठते हैं।
गाती ग़ज़लें आंसूओं के सागर पर,किश्तियां चलाती हैं,
साज-सरगम राग मल्हार,शापित रूदन नाद करती हैं।
दस्तक देती यादें परिचय का,कैसे आंगन तलाश करती है,
घुंघरू बज उठते पैरों तले,खुद की लाश दफन करती है।।
#डॉ.निशा माथुर
परिचय : डॉ.निशा माथुर का जन्म ६ अप्रैल १९७३ और निवास जयपुर (राजस्थान) में पावर हाउस रोड(रेलवे स्टेशन) पर हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(लोक प्रशासन),व्यापार प्रशासन सहित डी.लिट् हैl ६ अप्रैल को जन्मी निशा माथुर की रुचि- कविता लेखन के साथ ही गायन,नृत्य एवं चित्रकला में भी हैl सभी क्षेत्रों में आपने पुरस्कार प्राप्त किए हैंl कार्य क्षेत्र में आप स्वयं की संस्था की निदेशक हैंl साहित्यिक यात्रा देखें तो साझा कविता संग्रह-भारत की प्रतिभाशाली कवियित्रियां,प्रेम काव्य सागर और पुष्पगंधा है और एकल काव्य संग्रह-`सफर अभी लंबा है`l
देशभर के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में काव्य-लेख प्रकाशित हो चुके हैंl पोर्टल पर कविताओं का प्रकाशन सतत जारी हैl इसी तरह आकाशवाणी-जयपुर और अजमेर से कविताओं का निरंतर प्रसारण तथा जयपुर दूरदर्शन (डीडी राजस्थान) आदि से भी कविताएं प्रसारित हुई हैंl विभिन्न काव्य मंचों पर आप काव्य पाठ कर चुकी हैंl खुद का बनाया हुआ वीडियो एलबम तथा सबसे बड़ी उपलब्धि २०१३-१४ में विदेश मंत्रालय के जारी दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में जर्मनी में जाने का अवसर हैl निशा माथुर अब तक फ्रॅंकफर्ट,हॅनोवर(जर्मनी) और मास्को रशिया की यात्रा कर चुकी हैंl दिसम्बर २०१६ में डीडी राजस्थान के `धरती धोरा री` कार्यक्रम में व्यक्तिगत साक्षात्कार प्रसारित किया गया हैl आपको मिले सम्मान में जयपुर के बिरला सभागृह में रवीन्द्र मंच से सांस्कृतिक गतिविधियों में पुरस्कार,२०१५ में साहित्य सृजन सम्मान,
हिंदी भाषा प्रचार-प्रसार समिति (भोपाल) से २०१६ में `नारी गौरव सम्मान`,`प्रेम सागर सम्मान`,माँ प्रतियोगिता में कविता के लिए प्रथम स्थान और अखिल भारतीय मुशायरा और कवि सम्मेलन( झालावाड़) में `शाने अदब खिताब` शामिल हैl विशेष रूप से काव्य संगोष्ठी के अंतर्गत `श्रृंगार गीत` प्रतियोगिता में अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध वरिष्ठ शायर पद्मश्री डॉ.गुलज़ार देहलवी से उत्कृष्ट काव्य पाठ के लिए प्रशस्ति-पत्र और उत्तरप्रदेश से मानद उपाधि के तौर पर साहित्य का वाचस्पति सम्मान (ड़ी.लिट् उपाधि) मिलना हैl आप करीब १० साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर सक्रियता से लेखन में लगी हुई हैंl