स्त्री हिचकियाँ की सखी,
साथ फेरों का संकल्प,
दुःख-सुख की साथी,
एकाकीपन खटकता |
परछाई नापता सूरज,
पहचान वाली आवाजों में,
खोजता मुझे दी जाने वाली,
तुम्हारी जानी-पहचानी पुकार |
आँगन -मोहल्ले में सूनापन,
विलाप के स्वर,
तस्वीरों में कैद छवि,
सदा बहते अश्रु,
तेज हो जाते,
तुम्हारी पुण्य तिथियों पर |
दरवाजा बंद करता,
खालीपन महसूस,
अकेलापन कचोटता मन,
बिन तुम्हारे,
हवाओं से उत्पन्न आहटें,
देती संदेशा,
मै हूँ ना |
मृत्यु नाप चुकी रास्ता,
अटल सत्य का,
किन्तु सात फेरों का संकल्प,
सात जन्मों का छोड़ साथ,
कर जाता मुझे अकेला |
फिर आई है हिचकी
क्या तुम मुझे याद कर रही हो ?
#संजय वर्मा ‘दृष्टि’
परिचय : संजय वर्मा ‘दॄष्टि’ धार जिले के मनावर(म.प्र.) में रहते हैं और जल संसाधन विभाग में कार्यरत हैं।आपका जन्म उज्जैन में 1962 में हुआ है। आपने आईटीआई की शिक्षा उज्जैन से ली है। आपके प्रकाशन विवरण की बात करें तो प्रकाशन देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाओं का प्रकाशन होता है। इनकी प्रकाशित काव्य कृति में ‘दरवाजे पर दस्तक’ के साथ ही ‘खट्टे-मीठे रिश्ते’ उपन्यास है। कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता की है। आपको भारत की ओर से सम्मान-2015 मिला है तो अनेक साहित्यिक संस्थाओं से भी सम्मानित हो चुके हैं। शब्द प्रवाह (उज्जैन), यशधारा (धार), लघुकथा संस्था (जबलपुर) में उप संपादक के रुप में संस्थाओं से सम्बद्धता भी है।आकाशवाणी इंदौर पर काव्य पाठ के साथ ही मनावर में भी काव्य पाठ करते रहे हैं।