माँ से बिटियाँ का स्नेह होता है लाजवाब बिटियाँ को सुलाती अपने आँचल में लगता है जैसे फूलों के मध्य पराग हो झोली में । माँ की आवाज कोयल सी और बिटियाँ की खिलखिलाहट पायल की छुन -छुन सी लगता है जैसे मधुर संगीत हो फिजाओं में । माँ तो […]

मुझे बूढ़ी आँखों मे आँसू देखना अच्छा नहीं लगता मुझे उनके कंधों पर बोझ रखना अच्छा नहीं लगता आशाओं में गुजारी जिंदगी पूरी न हो मुझे अच्छा नहीं लगता सहारे की जरूरत हो सहारा ना दे मुझे अच्छा नहीं लगता उनके पास बतियाने का समय ना हो मुझे अच्छा नहीं […]

डरी -डरी सी दहशत से भरी जिन्दगी पग -पग पर  भय से भरी जिन्दगी मुड -मुड सी पलट से  भरी जिन्दगी सूनी राहों पर दबोची जा रही जिन्दगी हैवानियत  से सनी जा रही जिन्दगी हर चौराहों पर अब चीख रही जिन्दगी चीखों को रोकों  जरा हैरान है जिन्दगी दुष्कर्मियों पर कसों फंदा रो […]

बांसुरी वादन से खिल जाते थे कमल  वृक्षों से आँसू बहने लगते स्वर में स्वर मिलाकर नाचने लगते थे मोर गायें खड़े कर लेती थी कान पक्षी हो जाते थे मुग्ध ऐसी होती थी बांसुरी तान नदियाँ कलकल स्वरों को बांसुरी के स्वरों में मिलाने को थी उत्सुक साथ में […]

जल कहता है इंसान व्यर्थ क्यों ढोलता है मुझे प्यास लगने पर तभी तो  खोजने लगता है मुझे । बादलों से छनकर मै जब बरस जाता सहेजना ना जानता इंसान इसलिए तरस जाता । ये माहौल देख के नदियाँ रुदन करने लगती उनका पानी आँसुओं के रूप में इंसानों की […]

जिंदगी की दौड़ भाग में खो सा गया मेरा बचपन बेफिक्र मौज मस्ती वाला मेरा राज दुलारा बचपन माँ के आँचल में छुपजाना नजर उतारने वाला बचपन भले ही माँ भूखी हो मगर मुझे तृप्ति कराने वाला बचपन आज क्यों खो सा गया ? या मै बचपन को पीछे छोड़ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।