पलाश के फूल

1
0 0
Read Time1 Minute, 33 Second
kumari archana
पेड़ की डाली से जब
सारे के सारे पत्ते
झड़ नीचे आ जाते,
पेड़ की एक-एक डाली के
ऊपर फूल लद जाते।
खास मौसम में ही
पलाश फूल खिलते,
वैसे ही तुम भी आते
मुझ पर फागुन का पाग
पलाश के फूलों से बने
लाल रंग से लगाने।
अर्ध चँद्राकार पंखुड़ियाँ,
वैसे चाँद-सा तुम्हारा मुख
छटा लालवर्ण के फूलों की,
सूरज की किरणों से
स्वर्ण-सी आभा आती!
गहरे लाल फूल टेसू कहते
वैसे तुम भी मेरे टेसू हो,
जब गुस्से से तुम्हारा
चेहरा लाल लाल हो जाता।
पलाश को तलाश फूलों की रहती
और मुझे तुम्हारी।
वो भी ठूंठ पेड़-सा
मूक बना रहता,
और मैं पत्थर-सी
बेज़ान मूरत।
फूलों से यौवन हरा रहता,
गर्मी कहीं उड़न छू हो जाती
वैसे ही तुम्हारे होने से मेरी,
प्राणवायु दीर्धायु हो जाती॥
                                                #कुमारी अर्चना

परिचय: कुमारी अर्चना वर्तमान में राजनीतिक शास्त्र में शोधार्थी है। साथ ही लेखन जारी है यानि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर लिखती हैं। आप बिहार के जिला-पूर्णियाँ ( हरिश्चन्द्रपुर) की निवासी हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “पलाश के फूल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

फौजी की मोहब्बत

Thu Dec 28 , 2017
मैं हूँ वतनपरस्त फौजी,मुझसे प्यार मत करना, कब शहीद-ए-आम हो जाऊं,मेरा इंतजार मत करनाl सोलहवां सावन बीता,कई सावन बाकी तुम्हारे, गिंदगी बसर साथ मेरे,ख्वाब गुलजार मत करनाl सिर कफन बांध निकला हूँ मैं वतन के वास्ते, लौटूँगा लिपट तिरंगे में,खातिर मेरे दिल बेकरार मत करनाl हाँ ये सच है मुझको […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।