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कहते हो यार तुम कि नया साल आ गया,
कहते हो मुबारक हो नया साल आ गया।
हम हो रहे हैं बूढ़े,कदम बढ़ रहे आगे,
दीवार से निकली हुई ईंटों से यूं झांके
दीवार से जो ईंट निकले,ईंट कम होगी,
परिवार से निकला तो सबकी आंख नम होगी…
ये शब्द नया सुन के,आंख में लाल आ गया।
कहते हो यार तुम कि नया साल आ गया॥
होंगे वही महीने और आएंगे वही दिन,
दिनभर करेंंगे मेहनत,फिर भी चैन लेंगे छीन।
ढूंढोगे पूरे साल चैन-सुख वो कहां है,
बस मारपीट दंगे कत्लेआम यहां है
ये दुष्ट,सज्जनों की पहने खाल आ गया।
कहते हो यार तुम कि नया साल आ गया॥
धोखे हुए पुराने,नए साल में होंगे,
जिनसे किया हो प्रेम,अब वो आंसू ही देंगे।
कितना किया भरोसा कि इस साल कुछ होगा,
ये साल भी गुजरा और हमें दे गया धोखा…
करने हमारी भावना के फाल आ गया।
कहते हो यार तुम कि नया साल आ गया॥
धरती चली तो दिन बने और साल बन गए,
दुनिया में फंसाने के हमें जाल बन गए।
हमसे है छीना सब,हम फटेहाल बन गए,
चक्कर में उनके पड़कर हम कंगाल बन गए
अब सीख के तुमसे चलना हमें चाल आ गया।
कहते हो यार तुम कि नया साल आ गया॥
कहते हो उम्र आपकी बढ़़ती है चल रही,
लेकिन हरेक पल में यह घटती है चल रही।
लगभग समय जीवन का मैंने जो भी बिताया,
एहसास की कलम से मैंने आज लिखाया
चलना है मुझे अब तो मेरा काल आ गया,
कहते हो यार तुम कि,नया साल आ गया॥
#अजय एहसास
परिचय : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सुलेमपुर परसावां (जिला आम्बेडकर नगर) में अजय एहसास रहते हैं। आपका कार्यस्थल आम्बेडकर नगर ही है। निजी विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ हिन्दी भाषा के विकास एवं हिन्दी साहित्य के प्रति आप समर्पित हैं।
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