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नन्द को लाला वो बंशीवाला,
मन का है काला,सखी बड़ो चितचोर है।
बीच डगर में छेड़े कलईयां मेरी मरोड़े,
दधि की मटकियां फोड़े,ऐसो नन्द किशोर है।
अपने सखाओं संग करतो है उत्पात,
काऊ से बो डरे नहीं बड़ो बरजोर है।
दुर्लभ है जो सुख बड़े ग्यानी-ध्यानियों को,
वाई सुख से गोपियन को करे सराबोर है॥
#सन्तोष बाजपेई
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