माँ भाई के साथ छोड़कर,
मुझको चली गई थी।
कुछ दिन के ही बाद खबर थी,
बेबस छली गई थी।।
बीमारी ने ऐसा जकड़ा,
भूल गई वो सबको।
खबर अचानक चलकर आई,
और मिल गई मुझको।।
बहुत विवश हो दृग प्रपात झर,
जोर प्यार ने मारा।
माँ दर्शन को तड़प उठा दिल,
छोड़ भागा घर प्यारा।।
उठते-गिरते बस गाड़ी से,
माँ से पहुँचा मिलने।
कोमा में थी मुझे देखकर,
लगी मात थी खिलने।।
मैंने पूछा पहचाना क्या,
मैं हूँ कौन बताओ।
डॉक्टर बोला-नहीं जानतीं,
मत इनको समझाओ।।
तब तक माँ ने बडे़ प्यार से,
मेरा शीश हिलाया।
मन के कोने की ममता को,
माँ ने तुरत जगाया।।
बोली-मेरे राजा बेटा,
तू है कैसा आया।
दशा सुधरती देख डॉक्टर ,
भी थोड़ा मुस्काया।।
बोला मैंने माँ बेटे का रिश्ता,
मैंने पाया न्यारा।
मरती माँ को भी बेटा ही,
जग में सबसे प्यारा।।
बेटों का कर्तव्य सदा ही,
माँ की कर ले सेवा।
हों सन्तुष्ट देव धरती के,
आनन्दित हों देवा।।
मेरे जीवन की यह घटना,
डॉक्टर के मन भाई।
वृद्धाश्रम को भेजी थी जो,
घर ले आया माई।।
कुछ दिन बाद मिला मुझको,
वो हाथ जोड़कर बोला।
‘आस’आपने मेरे दिल की,
हर ग्रन्थि को खोला।।
भूल नहीं पाता हूँ अब भी,
घटना जिसने बदला।
आज मेरी माँ अपने घर में,
कहती है वो जुमला।।
मैं उसका राजा बेटा हूँ,
वो मेरी महतारी।
उसके आगे कूड़ा लगती,
अब तो दौलत सारी।।
#कौशल कुमार पाण्डेय ‘आस’
परिचय : कौशल कुमार पाण्डेय ‘आस’ की शिक्षा एमकाम,एमएड सहित साहित्याचार्य भी है। आप पीलीभीत(उ.प्र.) के बीसलपुर में रहते हैं। विधा की बात करें तो,गीत, मुक्तक,छंद,गजल लिखते हैं। कई सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक,साहित्यक एवं धार्मिक संस्थाओं में दायित्व पर हैं। आपके रचित कालसेन चालीसा व सप्तक प्रकाशित हुए हैं तो,कुछ पुस्तकों का सम्पादन भी किया है। साथ ही कवि सम्मेलन व क्षेत्रीय गोष्ठियों में सहभागिता भी करते हैं। कई विद्यालयों व संस्थाओं से सम्मान पत्र मिले हैं।