Read Time1 Minute, 55 Second
भीनी-सी खुशबू लेकर
सुबह उठी है,
अभी अभी।
कुछ-कुछ
अलसाई,
कुछ-कुछ जागी-सी।
भोर होने से पहले ही
तिमिर में जागी-सी,
ताजी-ताजी-सी।
पहरुए उजालों के आने हैं
अंधियारों के भूत,
जाने को हैं।
बारिश में भीगे पंछी
अभी कहाँ उड़ जाने हैं,
खुली राह विस्तारों की।
नए दिवस का स्वागत
उजास के हारों से है,
नित नई उड़ानों से है।
गायब मुर्गे की तानें हैं
टहनी-टहनी चली गिलहरी,
अम्बर धरती को ताने है।
चंदा मामा चला गया
सूरज से फिर छला गया,
तारे बेचारे बारात सजाते।
हर दिन हर रात सजाते,
जुगनू बंद वनों में है,
प्रकृति छंद मनों में है।
आओ सूरज का मान करें
प्राण वायु का पान करें,
मंद पवन से बहना सीखें।
सुनें परिंदों का समूह गान
रचा हुआ अद्भुत वितान,
बेला है यह सुंदर ध्यान।
प्रथम किरण का आह्वान
दूर सभी का हो तिमिर,
हर घर उजियारा हो।
जीवन ज्योति सदा जगे
नए अन्वेषण हों हर दिन,
सुखी जीवन का खुले द्वार॥
#अरुण कुमार जैन
परिचय: सरकारी अधिकारी भी अच्छे रचनाकार होते हैं,यह बात
अरुण कुमार जैन के लिए सही है।इंदौर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में लम्बे समय से कार्यरत श्री जैन कई कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर चुके हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सहायक आयुक्त श्री जैन का निवास इंदौर में ही है।
Post Views:
394
Wed Aug 9 , 2017
रिश्ते जो जिंदगी में,मिलते हैं प्यार बन के, खिलते हैं फूल बन के,चुभते हैं हार बन के। कोई नहीं किसी का,झूठे हैं सब सहारे, रोते हैं आसमां के ये जगमगाते सितारे। देते हैं बेकरारी दिल का करार बन क़े, रिश्ते जो जिंदगी में ———-। रंगीन मंजरी को,देखो न पास जा […]