ज्योत से ज्योत जलाते चलो।
अंधेरे में रोशनी करते चलो।
राह में आये जो दिन दुखी
धैर्य उन्हें तो बांधते चलो।
दिलो में प्रेम जागते चलो,
प्यार गंगा बहाते चलो।।
ज्योत से ज्योत…..।
प्रेम से तुम दिलो को जीतो।
प्रेम के भाव जगाओ,
लोगो के मन से
नफरत हटाओ
प्रेम की गंगा बहाओ।
जात पात को भूल कर
इंसानियत की गीत गाते चलो।।
प्रेम दिलो में जागते चलो,
प्यार की गंगा बहते चलो।
ज्योत से ज्योत……..।
हर कदम पर मिलेंगे दुश्मन,
तुम को डराने वाले।
लक्ष्य से तुमको
भटकाने वाले
बहुत मिलेंगे दुनियां में।
ऐसे लोगो के मन मे तुम
ज्ञान की बाते बताते चलो।।
प्रेम दिलो में जागते चलो
प्यार की गंगा बहते चलो।
ज्योत से ज्योत………।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।