जिंदगी भी क्या है

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sanjay
फूल बनकर मुस्कराना जिन्दगी है l
मुस्कारे के गम भूलाना जिन्दगी है l
मिलकर लोग खुश होते है तो क्या हुआ l
बिना मिले दोस्ती निभाना भी जिन्दगी है l।
जिंदगी जिंदा दिलो की आस होती है।
मुर्दा दिल क्या खाक जीते है जिंदगी।
मिलना बिछुड़ जाना तो लगा रहता है ।
जीते जी मिलते रहना ही जिंदगी है।।
जिंदगी को जब तक जीये शान से जीये।
अपनी बातो पर अटल रहकर जीये ।
बोलकर मुकर जाने वाले बहुत मिलते है।
क्योकि ऐसे लोगो का ही आज कल जमाना है।।
मेहनत से खुद की पहचान बनाकर,
जीने वाले कम ही मिलते है जिंदगी में।
प्यार से जिंदगी जीने वाले भी कम मिलते है।
वर्तमान में जीने वाले ही जिन्दा दिल होते है।।
प्यार से जो जिंदगी को जीते है।
गम होते हुए भी खुशी से जीते है।
ऐसे ही लोगो की जीने की कला को।
हम  लोग जिंदा दिली जो कहते है ।।

#संजय जैन

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

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