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मायके की याद न
भुला पाऊँगी।
ससुराल को अपना
घर बनाऊँगी॥
पीहर के संस्कारों से
ससुराल महकाऊँगी।
मैं एक बेटी बनकर
बहू का फ़र्ज़ निभाऊंगी॥
#वासीफ काजी
परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,इसलिए लेखन में हुनरमंद हैं। साथ ही एमएससी और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए किया हुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।
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