उठो पार्थ,
गांडीव उठाओ..
शर संधान करो।
सम्मुख जो हैं,
सिर्फ शत्रु हैं..
कोई सगा नहीं,
अपमानित नारीत्व हुआ..
इनको कुछ लगा नहीं,
ये आए हैं
रण में केवल..
प्राणहरण करने,
या तो तुझे मृत्यु देने..
या स्वंय वरण करने,
सोचो मत..
ये पतित प्राण हैं,
इनके प्राण हरो।
सिर पर लादे,
पाप-पोटली..
धर्मध्वजाधारी,
सत्य,न्याय को मार..
करेंगे ये पातक भारी,
मोह मुग्ध होंगे..
तो केवल,
अपयश पाओगे..
शौर्य,दीप्ति,साहस,
खोकर..
कायर कहलाओगे,
अब ब्रह्मास्त्र उठा..
रणचंडी का,
आह्वान करो।
ओ!अविजित नायक,
भारत के
ओ जागरण-प्रणेता..
हर रण में
होता है अर्जुन,
केवल सत्य विजेता..
इनके पापों की,
अब कर लो
तुम ही सत्य समीक्षा..
क्यों करते हो ,
गीता गायक की
तुम विकल प्रतीक्षा..
ये भू-भार इन्हें,
भारत!
बस, मृत्यु प्रदान करो।
#डॉ.रामस्नेही लाल शर्मा ‘यायावर’
परिचय : डॉ.रामस्नेही लाल शर्मा ‘यायावर’ का जन्म फिरोजाबाद जनपद के गाँव तिलोकपुर में हुआ है। एमए,पीएचडी सहित डी.लिट्. की उपाधि आपने प्राप्त की है। मौलिक कृतियों में २७ आपके नाम हैं तो ११० में लेखन सहभागिता है। सम्पादन में भी १२ में आपकी सहभागिता है,जबकि आकाशवाणी के दिल्ली, मथुरा,आगरा व जबलपुर केन्द्रों से रचना प्रसारण हुआ है। राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार के लिए आपने नेपाल,बहरीन,सिंगापुर,दुबई,हांगकांगऔर मकाऊ आदि की वेदेश यात्रा की है। साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से एमेरिटस फैलो चयनित रहे हैं। आप नवगीत कोष के लिए शोधरत हैं तो अभा गीत व कहानी प्रतियोगिता में आपकी रचनाएँ प्रथम रही हैं। आपके निर्देशन में ४१ विद्यार्थियों ने शोध उपाधि पाई है। इतना ही नहीं,डॉ. यायावर के साहित्य पर ३ पीएचडी और ५ लघुशोध हो चुके हैं। आपका निवास फ़िरोज़ाबाद में ही है।