सिसक के गिन रही है गिनतियाँ ज़ुबाँ
आएगा वक़्त और बयाँ होगा किस्सा
कि सड़कों पे दौड़ रही है बच्चियाँ
तख्तियां लेकर चल रहे है बच्चे
यहाँ औरतें सम्भाले हुए है मोर्चा
कि वक्त आने पे बयाँ होगा किस्सा
लगा दिया जाता है तोहमत यहाँ पर
गद्दारी का तमगा भी बँट रहा है मुफ़्त
कि छीन लो लबो से भले आज़ादी तुम
कि वक़्त आने पर बयाँ होगा किस्सा
दौर-ए- हाजरा जैसी गुज़री थी पहले भी
कि कोई मूसा होगा जरूर यहाँ पर
जो देगा मात फ़िरौन के लश्कर को
तारीख़ खुद को दोहराती है खुद से
सिसक कर गिन रही है गिनतियाँ ज़ुबाँ
आएगा वक्त और बयाँ होगा किस्सा
#आकिब जावेद
परिचय :
नाम-. मो.आकिब जावेदसाहित्यिक उपनाम-आकिबवर्तमान पता-बाँदा उत्तर प्रदेशराज्य-उत्तर प्रदेशशहर-बाँदाशिक्षा-BCA,MA,BTCकार्यक्षेत्र-शिक्षक,सामाजिक कार्यकर्ता,ब्लॉगर,कवि,लेखकविधा -कविता,श्रंगार रस,मुक्तक,ग़ज़ल,हाइकु, लघु कहानीलेखन का उद्देश्य-समाज में अपनी बात को रचनाओं के माध्यम से रखना