समझाइश 

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drushti

अख़बार वाला रोजाना अख़बार डालता आ रहा है | मगर कुछ दिनों से अख़बार डाल नहीं रहा था | मैने अख़बार वाले की दुकान जाकर कहा – भाई क्या बात है अख़बार नहीं आ रहा है | उसने कहा अंकलजी अख़बार तो रोज डालता हूँ | मैने कहा – दो -चार दिन से अख़बार मुझे नहीं मिल रहा है | इस तरह आठ दिन होगए | मैने पता लगाने की ठान ली | सुबह जब अख़बार वाला आने वाला था | ठीक उसके एक घंटे पहले पुराना अख़बार बाहर  रख दिया और मै दरवाजे के छेद मे से बाहर झाँकता  रहा | तभी एक गरीब लड़का जिसे अख़बार पढ़ने का शौक था | उससे अख़बार खरीद कर पढ़ा भी नहीं जा सकता था | और गांव में लायब्रेरी भी नहीं थी | ताकि वो वंहा जाकर निःशुल्क पत्र पत्रिकाएं पढ़ ले | उसने जैसे ही अख़बार उठाया तो मैने झट से दरवाजा खोला | वो एकदम से घबरा गया | मैने उससे कहा -ये अच्छी बात नही है | जो अख़बार तुम आज चोरी कर रहे हो वो पिछले साल का है | नया तो अब आने वाला है | ऐसा कब से कर रहे हो | चलो तुम्हे थाने  ले चलता हूँ| वो रोने लगा | कहने लगा अंकलजी मुझे मांफ कर दो आगे से ऐसा नहीं करूँगा | मुझे उसके घर के हालात और उसकी परिस्थति मालूम थी | मैने कहा -बेटा तुझे अख़बार पढ़ने का शौक है तो मेरे घर से ले जाया कर और पढ़ने के बाद वापस लौटा  दिया कर | और उसे क्षमा कर दिया | आज वो लोगों की गैस की टंकी लाकर के  देता है और अपनी मेहनत की कमाई से गर्व से जी रहा है | क्षमा  से उसका भला हुआ | एक छोटी सी समझाईस ने उसकी जिंदगी में नया मोड़ ला दिया |

#संजय वर्मा ‘दृष्टि’

परिचय : संजय वर्मा ‘दॄष्टि’ धार जिले के मनावर(म.प्र.) में रहते हैं और जल संसाधन विभाग में कार्यरत हैं।आपका जन्म उज्जैन में 1962 में हुआ है। आपने आईटीआई की शिक्षा उज्जैन से ली है। आपके प्रकाशन विवरण की बात करें तो प्रकाशन देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाओं का प्रकाशन होता है। इनकी प्रकाशित काव्य कृति में ‘दरवाजे पर दस्तक’ के साथ ही ‘खट्टे-मीठे रिश्ते’ उपन्यास है। कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता की है। आपको भारत की ओर से सम्मान-2015 मिला है तो अनेक साहित्यिक संस्थाओं से भी सम्मानित हो चुके हैं। शब्द प्रवाह (उज्जैन), यशधारा (धार), लघुकथा संस्था (जबलपुर) में उप संपादक के रुप में संस्थाओं से सम्बद्धता भी है।आकाशवाणी इंदौर पर काव्य पाठ के साथ ही मनावर में भी काव्य पाठ करते रहे हैं।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।