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प्रकृति की,
अद्भुत देन है,
गीत-संगीत,
चित्र-मीत (मित्र),
सब कुछ,
हम पर ‘अर्पण’।
मित्रता है,
अन्त:श प्रेम का,
एक
पवित्र ‘दर्पण’।
मित्रता का,
बन्धन है,
एक-दूसरे का,
अटूट विश्वास,
एक-दूसरे का,
असीम ‘समर्पण’॥
#डा. महेशचन्द्र शांडिल्य
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