दीवाली में नया फैशन को गिफ्ट

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shikhar chandra jain
“सुण स्याणा! मंगलवार की धनतेरस है अर बिस्पतवार की दीवाली है. दुनिया ज्वेलरी खरीद रही है. उच्छब के औसर पर सब आप आपकी गृहलक्ष्मी नै हीरा को, प्लेटिनम को, सोना को …आपकी हैसियत के हिसाब स्यूं गिफ्ट देवै है. थे मने के ल्या’र देस्यो?”- सुबह सुबह ई सेठाणी को हुकम होयो.
सेठजी दबी दबी सी आवाज में बोल्या, “आजकल सोना चांदी कुण पहरै है….”
सेठाणी बोली, “हाँ, बिलकुल ठीक! आजकल सोना चांदी को जमानो गयो. अब तो हीरा अर प्लेटिनम की पूछ परख है. आपण नीचै का फ्लेट में शर्माजी तो आपकी घरहाली वास्ते हीरा को फुल सेट ले’र आया है. थे हाफ सेट ई ल्या द्यो.”
सेठजी को माथो घूमगो. आ के आफत है. बै तो कोई सस्ता आइटम को नाम सुझाण के चक्कर में हा. पण ओ तो पासो उलटो पड़गो. बै समझ्ग्या क अबार सेठाणी नै कुछ समझ में कोनी आसी. बै बोल्या, “ठीक है, आपां बैठ कर बात करस्यां अबी तो थैलो ल्यार दे. शाम की पूजा खातिर फूलमाला,पूजन सामग्री, फल, प्रसाद अर मिठाई- ड्राईफ्रूट लेर आवां.”
सेठजी मुन्ना ने सागै ले’र मार्केट निकल ग्या. मार्केट में चम्पालाल जी मिलग्या. बातां हुई. बात महंगाई स्यूं ले’र सेठाणी की जिद तक पूंचगी. चम्पालाल जी अर बांकी घरहाली समझदार अर सोचसमझकर खर्च करण हाला जीव हा. सेठजी की समस्या सुनकर चम्पालाल जी बोल्या, थे टेंशन मतना ल्यो. मैं अबार ई पंडताइन ने थारे घरां भेजूं. सेठाणी पांच लाख के बदले पन्दरा-बीस हजार का बजट की चीज मांगसी. फिर तो थे खुश हो जास्यो ना?”
सेठजी बोल्या, “शर्माजी, ओ चमत्कार कर द्यो तो थारे घरां ड्राईफ्रूट को टोकरो भेजस्यूं.”
शर्माजी हाथूं हाथ फोन लगा’र आपकी घरहाली ने सारी बात बताई अर सेठाणी मनाओ,सेठजी बचाओ, ड्राईफ्रूट पाओ मिशन शुरू करवा दियो.
चम्पालाल जी की घरहाली पंडताइन सेठाणी कनै पूंचगी. रामा-श्यामा कर के पूछी, “दीवाली पर के ल्या रिया हो? मनै तो ऐ ज्वेलरी वास्ते कह्या पण मैं साफ़ मना कर दी .आजकल भाभीजी जमानो कित्तो खराब है. पहन कर निकलाँ अर कोई गुंडों छुरो मार देवै तो गहणा स्यूं बी जावां अर जीव स्यूं बी जावां.”
सेठाणी पूछी, “फेर के ल्यास्यो?”
पंडताइन बोली, “मैं तो स्मार्ट फोन, जियो कनेक्शन के सागै लेस्युं. इंटरनेट स्यूं कत्तो मनोरंजन होवै अर ज्ञान बी बढे. लेटेस्ट फैशन ,मेहंदी, साड़ी की नई डिजाइन, हेयर स्टाइल, नया नया गाणा, तीज त्यौहार की जाणकारी, गीत, आपणी रीत, फिल्माँ का वीडियो…पूरो समंदर है. फेर व्हाट्सऐप, फेसबुक अर ट्वीटर बी आजकल कत्तो जरुरी है..हे भगवान…देरी होगी..घरां सारो काम पड्यो है..मैं पाछै आस्युं”  अत्ती बात कह्कर पंडताइन गई.
सेठजी घरां आया तो सेठाणी बोली, “सुण स्याणा! दीवाली पर ओर घणखरा खर्च है.थे तो मने एक स्मार्टफोन नेट कनेक्शन कै सागे दिलवा द्यो..”
सेठजी समझग्या क पंडताइन को जादू चाल्ग्यो!
#शिखर चंद जैन

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।