आदिशक्ति देवी दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि

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बड़ा भयंकर रूप बनाया
कालरात्रि रूप कहाया

नासिका से अग्नि बरसे
असुर सारे थर थर कांपे

रक्तबीज का नाश करती
कालरात्रि माँ कहलाती

वरमुद्रा से माँ आशीष देती
भक्तों की झोली भर देती

रूप भले लगता हो भयंकर
लेकिन माँ तो है शुभंकारी

वीरता साहस का प्रतीक माँ
कालरात्रि माँ बन जाती

धरा पर रक्त गिरने न दिया
रक्तबीज को मार गिराया

सुख वैभव सारे ही देती
जो करता मन से है भक्ति

रौद्री भी कालरात्रि कहलाती
धुमोरना देवी भी माँ कहाती

गर्दभ वाहन पर करे सवारी
माता पड़ती असुरों पर भारी

एक हाथ मे तलवार ले चलाती
असुरों का वध तुरन्त ये करती

शिवजी जिनके जीवन साथी
शिव महिमा अहर्निश गाती

पापों विध्नों को माँ हर लेती
अक्षय पुण्य लोक माँ देती

भय सारे मन से भगाती
अभयदान कालरात्रि ही देती

स्मरण ध्यान पूजा जो करते
कालरात्रि मनचाहा फल देती

डॉ. राजेश पुरोहित

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