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माँ वसुंधरा तो पिता अंबर-सा साया।
माँ शीतल आंचल तो पिता कड़कती धूप में छाया॥
माँ है पवित्र गंगा जल,तो पिता है पर्वत विंध्याचल।
माँ है खुशियों का आँगन, वहीं पिता है रहा आवरण॥
माता-पिता है इंसान के रूप में ईश्वर।
इनसे सदा सजा रहे हमारा घर-मंदिर॥
माता-पिता है जीवन का अनमोल खजाना।
रखें इनका ध्यान,कभी न इनको सताना॥
सदा करें इनका मान- सम्मान।
हैं यह ईश्वर का अद्वितीय वरदान॥
माता-पिता है पूरे जीवन की भक्ति।
यही है हमारी अटूट शक्ति॥
#तृप्ति तोमर
परिचय : भोपाल निवासी तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। मध्य प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है।
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