*श्रृंगार*

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babulal sharma
श्रृंगार हमारी वसुधा का हो,
या हो अपनी मातृभूमि का।
भारत का  श्रृंगार  करें  हम,
या हो अपनी जन्मभूमि का।
💫
धरती  का  श्रृंगार  पेड़  हैं,
पर्यावरण हम शुद्ध बनाएँ।
मातृभूमि के गौरव के हित,
शत्रु शीश  काट कर  लाएँ।
💫
प्रिय  वतन  श्रृंगार  तिरंगा,
लहर  लहर  वो   लहराए।
जन्मभूमि का गीत सुहाना,
जनगणमन सब मिल गाएँ।
💫
भारत माता  के श्रृंगारी बन,
हिमगिरि ताज अकंटक हो।
विन्ध्याचल गिरि रहे मेखला,
गंग  यमुन  निष्कंटक   हो।
💫
सागर चरण  पखारे इसके,
उज्ज्वल चरणों नमन करें।
देशधरा की कण कण माटी,
आओ  मिलकर चमन करें।
💫
खेत किसानी सम्बल देकर,
धानी चूनर  श्रृंगारित होती।
सीमाओं के संरक्षण से ही,
माँ की थाती गर्वान्वित होती।
💫
अपना तो  श्रृंगार  देश बस,
फूले फले  अमन छा जाए।
अपने लहू का टीका करके,
भारत  माँ का भाल सजाएँ।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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