श्रृंगार हमारी वसुधा का हो,
या हो अपनी मातृभूमि का।
भारत का श्रृंगार करें हम,
या हो अपनी जन्मभूमि का।
धरती का श्रृंगार पेड़ हैं,
पर्यावरण हम शुद्ध बनाएँ।
मातृभूमि के गौरव के हित,
शत्रु शीश काट कर लाएँ।
प्रिय वतन श्रृंगार तिरंगा,
लहर लहर वो लहराए।
जन्मभूमि का गीत सुहाना,
जनगणमन सब मिल गाएँ।
भारत माता के श्रृंगारी बन,
हिमगिरि ताज अकंटक हो।
विन्ध्याचल गिरि रहे मेखला,
गंग यमुन निष्कंटक हो।
सागर चरण पखारे इसके,
उज्ज्वल चरणों नमन करें।
देशधरा की कण कण माटी,
आओ मिलकर चमन करें।
खेत किसानी सम्बल देकर,
धानी चूनर श्रृंगारित होती।
सीमाओं के संरक्षण से ही,
माँ की थाती गर्वान्वित होती।
अपना तो श्रृंगार देश बस,
फूले फले अमन छा जाए।
अपने लहू का टीका करके,
भारत माँ का भाल सजाएँ।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः