कुण्डलियाँ (1) विषय- अविरल अविरल गंगा धार है, अविचल हिमगिरि शान! अविकल बहती नर्मदा, कल कल नद पहचान! कल कल नद पहचान, बहे अविरल सरिताएँ! चली पिया के पंथ, बनी नदियाँ बनिताएँ! शर्मा बाबू लाल, देख सागर जल हलचल! अब तो यातायात, बहे सडकों पर अविरल! . 👀👀👀 कुण्डलियाँ (2) […]