लोग कहते हैं कि मौन रहने से बेहतर है कि आप मुखर रहकर अपनी बात कहें।यानी बोलना जरूरी है वरना यदि मौनी बाबा बनकर रह गए तो आपकी कहीं दाल गलने वाली नहीं !लोग यह भी कहते हैं कि जब भी बोलो सोच-समझकर बोलो।उनकी बात तो ठीक है लेकिन जब […]
कहते हैं कि जंग और मुहब्बत में सब जायज है।यानी जायज तो जायज है ही,नाजायज भी जायज!किन्तु यह बात कही किसने होगी!मुझे लगता है कि या तो जिसने जंग जीती होगी या फिर जिसने मुहब्बत में अपने प्रेमी या प्रेयसी को पा लिया होगा।वरना तो जिसे युद्ध में हारना पड़े […]
और कितने सर्वे करेंगे! हमारी हर बात में ऐसे ही खामियाँ निकालते रहते हैं।हमारी व्यक्तिगत बातों में यदि इसी तरह से दखलंदाजी देते रहे तो फिर तो हो गया काम!इस तरह से हम आगे बढ़ ही नहीं पायेंगे और पिछड़े के पिछड़े ही रहेंगे। एक तरह से यह हमारी निजता […]
थरथराहट जब भी गुजरता हूँ पुल पर से थरथराहट सी होती है देखा है मैंने जितना मैं थरथराता हूँ उतना ही थर्रा जाता है पुल भी उसे भी भरोसा नहीं है अपने रचनाकार पर मुझे भी अब नहीं रहा क्योंकि उस ऊपर वाले रचनाकार का कोई पता भी नहीं है […]
उन्होंने कहा है तो सच ही होगा।यदि अनुशासन में किसी को लायेंगे तो तानाशाह तो कहलायेंगे ही।घर हो,परिवार हो,दफ्तर हो,सदन हो,समाज हो या देश हो सब अपने अनुरूप हो,सभी अपने अनुसार चलें,शायद यही तो अनुशासन है।लेकिन व्यवस्था सुधारने या व्यवस्था करने के नाम पर अनुशासन लागू कर भले ही हम […]
गरीब तब भी खुश था जब कहा गया था कि दिल्ली से एक रूपया चलता है और गरीब तक पन्द्रह पैसे ही पहुँचते हैं।गरीब तब भी खुश हुआ था,शाबासी दी थी।गरीब आज भी खुश है जब कहा जा रहा है कि दिल्ली से एक रूपया चलता है और […]
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।
आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं।
कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।